नई दिल्ली। पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में भाजपा की दमदार जीत के बाद एकाएक हिंसा और वामपंथी स्मारकों को तोड़ने की घटनाएं सामने आई हैं। इस सब के पीछे भाजपा समर्थकों को बताया जा रहा है। इस कड़ी में कथित भाजपा समर्थकों ने साउथ त्रिपुरा डिस्ट्रिक्ट के बेलोनिया सबडिविज़न में बुलडोजर की मदद से रूसी क्रांति के नायक व्लादिमीर लेनिन की मूर्ति को ढहा दिया गया। साम्यवादी विचारधारा के नायक लेनिन की मूर्ति तोड़े जाने के बाद से वामपंथी दल और उनके कैडर नाराज हैं। राज्य के 13 जिलों में हिंसा-आगजनी के बाद सड़के सूनी हो गई है। पिछले 25 सालों से राज्य की सत्ता पर काबिज रही सीपीआई (एम) अब आरोप लगा रही है कि भाजपा-आईपीएफटी कार्यकर्ता हिंसक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। वे न सिर्फ वामपंथी दफ्तरों में तोड़फोड़ कर रहे हैं बल्कि कार्यकर्ताओं के घरों पर भी हमला कर उन्हें निशाना बना रहे हैं। खबरों के बाद केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य की स्थिति पर नजर रखने को कहा है।
इस घटना पर सीपीआई(एम) ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए नाराजगी जताई है। इस दौरान उन्होंने वामपंथी कैडरों और दफ्तरों पर हुए हमलों की लिस्ट जारी करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा पर उनके कार्यकर्ताओं को डराने और उनके मन में खौफ पैदा करने का आरोप लगाया है। साथ ही कहा कि ये हिंसक घटनाएं प्रधानमंत्री द्वारा बीजेपी को लोकतांत्रिक बताने के दावों का मजाक है।
तोड़फोड़ पर भाजपा का कहना है कि उनके कार्यकर्ताओं ने हिंसा से जुड़ी किसी वारदात को अंजान नहीं दिया है। ये त्रिपुरा की जनता है जो सीपीएम के खिलाफ काफी गुस्से में नजर आ रही है। पिछले 25 साल राज्य में राज करने के बावजूद राज्य में विकास नदारद होने के चलते अब लोग अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। रूसी क्रांति के नायक व्लादिमीर लेनिन की मूर्ति को ढहाने वाले बुलडोजर के ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस का कहना है कि जिस समय ड्राइवर को गिरफ्तार किया गया उस समय वह काफी नशे में था। हालांकि सीपीएम ने इसके पीछे भाजपा की साजिश बताते हुए कहा कि भाजपा नेताओं ने ही उसे शराब पिलाई ।
रूसी क्रांति के नायक व्लादिमीर लेनिन ने 1893 से उन्होंने रूस के साम्यवादी विचारधारा का प्रचार शुरू किया था। इस वजह से उस दौरान लेनीन को कई बार जेल भेजा गया था और निर्वासित भी किया गया। ‘प्रलिटरि’ एवं ‘इस्क्रा’ के संपादन के अतिरिक्त 1898 में उन्होंने बोल्शेविक पार्टी की स्थापना की। 1905 की क्रांती के उनके प्रयास असफल रहे, लेकिन 1917 में उन्होंने रूस के पुननिर्माण योजना बनाई और सफल हुए. उन्होंने केरेन्सकी की सरकार पलट दी और 7 नवम्बर, 1917 को लेनीन की अध्यक्षता में सोवियत सरकार बनी. लेनिन की कम्युनिस्ट सिद्धांत और कार्यनीति लेनिनवाद के नाम से जानी जाती है। आज के वामपंथ विचारधारा और कार्यशैली में इनके सिद्धांतों का अहम योगदान है।