नई दिल्ली. गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से मिली चुनौतियों के बाद अब राजस्थान और पश्चिम बंगाल में हाल में संपन्न हुए उपचुनावों में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। राजस्थान में भाजपा की सरकार है, बावजूद इसके इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले के सेमीफाइनल में कांग्रेस ने भाजपा को दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर 3-0 से पटखनी दी। चुनावों से पहले इस तरह के नतीजों ने भाजपा को करार झटका दिया है। वहीं पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने नाओपाड़ा विधानसभा सीट छीन ली है।
कहा जा रहा है कि अच्छे दिन टीम राहुल के आ गए हैं। आगामी चुनावों में भाजपा को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में देश के व्यापारी वर्गों में नोटबंदी, जीएसटी के बाद आम बजट में की गई व्यवस्थाओं को लेकर नाराजगी है। दिल्ली के व्यापारी सीलिंग को लेकर सड़कों पर हैं, जबकि मध्यम वर्ग अपने को ठगा से महसूस कर रहा है। इस सब के चलते आने वाले समय में भाजपा के लिए अपनी राजनीतिक यात्रा काफी कठिन होने वाली है।
भाजपा को उसके ही गढ़ में मात
कांग्रेस के प्रदेश में एक बार फिर से बढ़ती धमक का असर इस बार देखने को मिला है। प्रदेश की दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर हुए उपचुनावों में कांग्रेस ने भाजपा को उसके ही गढ़ में मात दी है। अब इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में उपचुनावों में भाजपा को मिली हाल के लिए पार्टी के कुछ नेता इसे दबी जुबान में एक बड़ा झटका मान रहे हैं। करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने राजस्थान में कई जगहों पर कांग्रेस की जीत में आतिशबाजी की। इस दौरान कुछ करणी सेना के नेताओं ने कहा कि राज्य में राजपूतों के साथ भाजपा के रुख से समाज के लोग नाराज थे, जिसका असर इन चुनावों में देखनों को मिला।
बजट से बाजार, व्यापारी निराश
आम बजट के चलते जैसे शेयर बाजार धड़ाम हुआ उसे देखकर साफ हो गया कि इस बार का बजट मोदी सरकार ने लोकलुभावन नहीं बनाया। सरकार के इस आम बजट से व्यापारी वर्ग जहां खुश नहीं है, वहीं आम आमदी के लिए इस बार बजट में कुछ भी नहीं था। ऐसे में मोदी सरकार के संभवता इस अंतिम बजट ने जहां किसानों और गरीब तबके के लोगों को रिझाने के प्रयास किए हैं, वहीं मध्यम वर्ग समेत व्यापारी वर्ग को नाराज ही किया है।
8 राज्यों में होने है विधानसभा चुनाव
बता दें कि इस साल के अंत तक देश के आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। हालांकि पीएम मोदी को हाल में दुनिया के कई सबसे पसंदीदा नेताओं में शुमार किया गया है लेकिन सरकार का ग्राफ इस बार गिरता नजर आ रहा है। राज्यों में इस समय स्थानीय मुद्दों से ज्यादा राष्ट्रीय मुद्दे ज्यादा हावी नजर आ रहे हैं। ऐसे में भाजपा के लिए आने वाले समय में राज्यों में केंद्र की नीतियों का प्रचार -प्रसार करते हुए मतदाताओं को लुभाना एक बड़ी चुनौती होगा।