धर्म : नवरात्रि के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की उपासना की जाती है. इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है. कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया है. विद्यार्थियों के लिए और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी होती है. जिनका स्वाधिष्ठान चक्र कमजोर हो उनके लिए भी मां ब्रह्मचारिणी की उपासना अत्यंत अनुकूल होती है. इस बार मां के दूसरे स्वरुप की उपासना 30 सितम्बर यानी आज की जाएगी.
मां के दूसरे स्वरूप की महिमा
नवदुर्गा में दूसरा स्वरुप मां ब्रह्मचारिणी का है इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है. कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया. छात्रों और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी है, जिनका चन्द्रमा कमजोर हो तो उनके लिए मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करना अनुकूल होता है.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के नियम
- मां ब्रह्मचारिणी की उपासना के समय पीले या सफेद वस्त्र पहनें.
- मां को सफेद वस्तुएं अर्पित करें जैसे- मिश्री, शक्कर या पंचामृत.
- ‘स्वाधिष्ठान चक्र’ पर ज्योति का ध्यान करें या उसी चक्र पर अर्ध चन्द्र का ध्यान करें.
- मां ब्रह्मचारिणी के लिए “ऊं ऐं नमः” का जाप करें और जलीय और फलाहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
मां का करें इस मंत्र से जाप
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
मां ब्रह्मचारिणी की सामान्य पूजा विधि
- मां ब्रह्मचारिणी की उपासना के समय पीले अथवा सफेद वस्त्र धारण करें
- मां को सफेद वस्तुएं अर्पित करें, जैसे- मिसरी, शक्कर या पंचामृत
- ज्ञान और वैराग्य का कोई भी मंत्र जपा जा सकता है
- वैसे मां ब्रह्मचारिणी के लिए “ॐ ऐं नमः” का जाप करें
- जलीय आहार और फलाहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए