बीआइटी सिंदरी में साइंस एंड टेक्नोलॉजी स्पेशल स्टील और नैनो मटेरियल्स पर दो दिवसीय नेशनल कन्फ्रेंस शुरु
सिंदरी: बीआइटी सिंदरी में साइंस व टेक्नोलॉजी स्पेशल स्टील और नैनो मेटेरियल्स पर शनिवार को दो दिवसीय नेशनल कन्फ्रेंस शुरु हुआ. पीएसजी कॉलेज कोयंबटूर के मेटल स्पेशलिस्ट डॉ. वी रामास्वामी ने दीप प्रज्ज्वलित कर कन्फ्रेंस का उद्घाटन किया.
डॉ. रामास्वामी ने कहा कि स्पेशल स्टील में भारत की आत्मनिर्भरता एक चुनौती है. प्रतिरक्षा से लेकर स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में स्पेशल स्टील की जरूरतें बढ़ती जा रही हैं. धातु निर्माण के क्षेत्र में चीन विश्व में पहले पायदान पर है. वह 8.8 मिलियन टन वार्षिक इस्पात का उत्पादन करता है. 1.8 मिलियन टन उत्पादन के साथ जापान दूसरे स्थान पर है. जबकि 0.98 मिलियन टन उत्पादन के साथ भारत तीसरे स्थान पर है. विश्व में तीसरे स्थान पर रहने के बावजूद भारत स्पेशल स्टील का 92 फीसद आयात करता है. आयातित स्पेशल स्टील काफी महंगी है. स्पेशल स्टील का उत्पादन बढ़ाकर ही भारत अपने जरूरतों को पूरा कर सकता है.
आयोजन समिति के सचिव डॉ बीएन राय ने स्वागत भाषण में देते हुए कहा कि धात्विकी अभियंत्रण के क्षेत्र में भारत की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. चीन में धातु अभियंत्रण में प्रतिवर्ष 50 हजार विद्यार्थी डाक्ट्रेट कर रहे हैं, जबकि भारत में मात्र 10 हजार विद्यार्थी ही इस डिग्री को ले पा रहे हैं. हम स्पेशल स्टील और नैनो मेटेरियल्स के विकास की उपेक्षा नहीं कर सकते हैं. आयोजन समिति के संयोजक प्रो सीडी सिंह ने कहा कि देश के विकास के लिए स्पेशल स्टील और नैनो मेटेरियल्स के विकास पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. निदेशक डॉ धर्मेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि स्पेशल स्टील और नैनो मेटेरियल्स पर तकनीकी दक्षता हमारे देश को आत्मनिर्भर बनाने में वरदान साबित होगा. राष्ट्रीय सम्मेलन की सफलता देश के स्पेशल स्टील और नैनो मेटेरियल्स के विकास में महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होगा.