रांची: अब सभी कर्मियों और अधिकारियों का प्रमोशन, पिछले करीब डेढ़ साल से रुका हुआ था, झारखंड हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस अमिताभ गुप्ता की डबल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के दो फैसलों के आधार पर प्रमोशन व्यवस्था बहाल करने का आदेश दिया. अब आरक्षित वर्ग को आरक्षित वर्ग में, जेनरल वर्ग को जेनरल वर्ग में और मेरिट वालों को मेरिट के कोटा में प्रमोशन मिल पायेगा. ऐसा होने से पहले वाली व्यवस्था राज्य में बहाल हो जायेगी.
प्रमोशन में मिलनेवाले जातिगत आरक्षण पर रोक लगा दी थी
राज्य के अधिकारियों और कर्मियों के प्रमोशन का मामला कोर्ट में लंबित था. फैसला आ जाने के बाद कार्मिक विभाग जल्द ही विभागवार प्रमोशन देना शुरू करेगा. अमरेंद्र कुमार सिंह बनाम राज्य सरकार के केस में 27 फरवरी 2017 को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार के कर्मियों और अधिकारियों को प्रमोशन में मिलनेवाले जातिगत आरक्षण पर रोक लगा दी थी. 25 जनवरी 2018 को कार्मिक विभाग की तरफ से एक चिट्ठी जारी की गयी, जिसमें कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए राज्य सरकार के सभी कर्मियों और अधिकारियों के प्रमोशन पर रोक लगा दी गयी. कहा गया कि कोर्ट का फैसला आने तक कोई प्रमोशन नहीं होगा.
कंडीशन लगाकर सभी कर्मियों और अधिकारियों को प्रमोशन दे दिया जाये
सरकार की प्रमोशन नीति के बाद राज्य के कर्मियों और अधिकारियों के बीच खुशी तो थी, लेकिन विरोध भी हो रहा था. सरकार की नीति के तहत वे पद खाली रहेंगे, जो एससी और एसटी के लिए आरक्षित थे. इससे सामान्य वर्ग के कर्मियों और अधिकारी अपना विरोध जता रहे थे. झारखंड सचिवालय सेवा संघ ने प्रमोशन के मामले में सरकार से मांग की थी कि कंडीशन लगाकर सभी कर्मियों और अधिकारियों को प्रमोशन दे दिया जाये. कोर्ट का फैसला सरकार की नीति के मुताबिक नहीं रहने की शर्त में प्रमोशन वापस ले लिया जाये. ऐसा उदाहरण उद्योग विभाग में देखने को मिला है. सितंबर 2017 में कुछ लोगों का प्रमोशन प्रोविजनल प्रमोशन के तौर पर किया गया था. प्रमोशन के बाद उन्हें सारे लाभ मिल रहे हैं. कोर्ट का फैसला आने पर प्रमोशन प्रभावित हो सकता है.
फैसले का किया स्वागत
झारखंड सचिवालय सेवा संघ के महासचिव पिकेश कुमार सिंह ने झारखंड हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि फैसला आने से लगभग डेढ़ सालों से बाधित प्रमोशन का रास्ता खुल गया है.