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धनबाद : गांजा तस्करी में इसीएल स्टाफ चिरंजीत घोष को जेल मामले में निरसा थानेदार व आईओ के खिलाफ होगी कार्रवाई

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धनबाद: झारखंड पुलिस हेडक्वार्टर ने इंस्पेक्टर सह निरसा पुलिस स्टेशन के ऑफिसर इंचार्ज उमेश प्रसाद सिंह द्वारा गांजा तस्करी की झूठी कहानी प्लॉट कर बेकसूर इसीएल स्टाफ चिरंजीत घोष को जेल भेजने के मामले में कड़ा रूख अख्तियार किया है. पुलिस हेडक्वार्टर मामले में धनबाद एसएसपी से रिपोर्ट तलब की है. हेडक्वार्टर की सख्ती के बाद मामले में इंस्पेक्टर सह निरसा थानेदार उमेश प्रसाद सिंह व गांजा तस्करी के संबंधित केस के आईओ एसआइ जुएल उरांव के खिलाफ डिसीप्लीनरी एक्शन शुरु कर दी गयी है.

बताया जाता है कि दोनों अफसरों को शो कॉज किया गया है. हलांकि बेकसूर चिरंजीत को जेल भेजने के बाद मामला तूल पकड़ने पर पुलिस कोर्ट में नो एवीडेंस की रिपोर्ट दाखिल कर दी थी. इससे कोर्ट ने चिरंजीत को रिहा कर दिया है. पश्चिम बंगाल वीरभूम जिले के राजनगर पुलिस स्टेशन एरिया निवासी चिरंजीत घोष ईसीएल के झांझरा प्रोजेक्ट में मजदूर है. चिरंजीत की वाइफ श्रावणी सेवीत बंगाल जेल पुलिस की कांस्टेबल है. श्रावणी ने ही निरसा थानेदार की कंपलेन डीजीपी व सीएम तक की है.

एसएसपी ने पुलिस हेडक्वार्टर के पत्र के आलोक में रूरल एसपी अमन कुमार को निरसा गांजा तस्करी से संबंधित मामले की जांच सौंपी है. रूरल एसपी ने मामले की जांच शुरु कर दी है. बताया जाता है कि उमेश प्रसाद सिंह राज्य के पहुंच व परैवी वाले इंस्पेक्टर हैं. बीमारी होने से पहले ही दवा का इंतजाम कर लेते हैं. एक कारोबारी से इंस्पेक्टर का पुराना संबंध है. इसी संबंध के आधार पर गांजा तस्करी मामले में सस्पेंशन समेत अन्य बड़ी कार्रवाई के बचने के लिए इंस्पेक्टर उमेश ने रास्ता तैयार करवा लिया है. उमेश को शो कॉज कर प्रोसिडिंग की जा सकती है. यह रिपोर्ट पुलिस हेडक्वार्टर को भेज दी जायेगी. इसके बाद पुलिस हेडक्वार्टर से उमेश के खिलाफ सस्पेंशन या कोई कड़ा एक्शन नहीं हो सकता है. नियमानुसार एक अपराध के लिए बड़ी का छोटी एक ही सजा दी जा सकती है. ऐसे में थानेदार के खिलाफ प्रोसिडिंग चलती रहेगी और बात में उसे क्लीन चीट मिल जायेगी.

थानेदार ने गुप्त सूचना के आधार पर गांजा लदी टवेरा पकड़ी. पुलिस टीम को देख टवेरा ड्राइवर व उसमें सवार चिरंजीत घोष समेत अन्य लोग भागने में सफल रहे. थानेदार उमेश प्रसाद सिंह ने खुद की कंपलेन पर एफआइआर दर्ज करायी. एक जूनियर अफसर को केस का आइओ बना दिया. एसडीपीओ विजय कुमार कुशवाहा के साथ प्रेस कांफ्रेस कर सीनीयर अफसरों को मिली गुप्त सूचना के आधार पर गांजा लदी टवेरा पकड़ने व सवार लोगों के भाग जाने की बात कही. एसडीपीओ ने इस केस में सुपरविजन दिया. थानेदार ने आईओ के साथ मिलीभगत कर चार सितंबर को चिरंतीज घोष को दबोच जेल भेज दी.

पुलिस को यह भी पता नहीं चला कि टवेरा किसकी है. इसे कौन चला रहा था. मामला तूल पकड़ने के बाद चिरंजीत को रिहा करवाकर सलटाने को कोशिश शुरु की गयी है. मामले में एसडीपीओ विजय कुमार कुशवाहा भी उतनी ही जिम्मेवार हैं जितना इंस्पेक्टर उमेश प्रसाद सिंह. निरसा जीटी रोड पर 24अगस्त की आधी रात कथित चेकिंग के दौरान इंस्पेक्टर उमेश प्रसाद सिंह के साथ एसडीपीओ विजय कुशवाहा भी मौजूद थे.

विजय कुशवाहा ने पहले केस का सुपविजन कर सत्य करार दिया. विजय कुशवाहा ने मामला फंसता देख बस्ताकोला के संदीप सिंह व बंगाल के राजीव राय को तीन दिन तक पुलिस कस्टडी में रख मामले में किसी दूसरे को जोड़ने की कोशिश की. मामले में पुलिस हेडक्वार्टर की नजर टेढ़ी होने से थानेदार व उनके आका परेशान हैं.

मनोंरजन / फ़ैशन

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