नई दिल्ली। कांग्रेस ने पिछड़ी जातियों को साधने के लिए बड़ा दांव खेला है। राज्य की कांग्रेस सरकार ने कैबिनेट की बैठक में लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा दे दिया है। कर्नाटक सरकार ने नागभूषण कमेटी के सुझाव को स्वीकार करते हुए यह दर्जा राज्य अल्पसंख्यक कानून के तहत दिया गया है। कर्नाटक में अप्रैल में आने वाले कुछ समय में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश के कई दौरे किए हैं और अपने दौरे में उन्होंने लिंगायत धर्म के कई मठों के भी दर्शन किए थे।
कर्नाटक राज्य कांग्रेस के हाथों से न फिसल जाए इसके लिए उसने लिंगायत को एक अलग धर्म का दर्जा देने का काम किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी प्रदेश के दौरे में वर्तमान कांग्रेसी मुख्यमंत्री के खिलाफ हमला करते हुए कहा था कि यहां सिद्धारमैया नहीं सीधा रुपैया की सरकार चल रही है। कर्नाटक में 18 फीसदी आबादी लिंगायत समुदाय की है। इसके साथ ही पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी लिंगायतों की अच्छी ख़ासी आबादी है। आगामी विधानसभा चुनावों में येदियुरप्पा को एक बार फिर से भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करने की यही वजह है कि लिंगायत समाज में उनका मजबूत जनाधार है। लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देकर कांग्रेस ने येदियुरप्पा के जनाधार को कमजोर करने की बड़ी कोशिश की है।उत्तरपूर्वी राज्यों में भी भारी जीत हासिल करने वाली भाजपा और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कर्नाटक में भी भारी जीत का दावा कर चुके हैं। हालांकि उत्तरप्रदेश और बिहार में हुए उपचुनाव के परिणामों के बाद पार्टी को जीत हासिल करने के लिए एक अलग रणनीति बनाते हुए और ज्यादा मेहनत करने की जरूरत पड़ेगी।