नई दिल्ली। बिहार में नियोजित शिक्षकों के समान कार्य समान वेतन मामले में मंगलवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को उनका वेतन 40 फीसदी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि पहले इतना काम किया जाएगा उसके बाद आगे देखा जाएगा। इस मामले पर केन्द्र सरकार की ओर से पेश हुए अटाॅर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि ऐसा होने से दूसरे राज्यों से भी इस तरह की मांगें उठ सकती हैं। बता दें कि शिक्षकों के वेतन का 70 फीसदी केन्द्र सरकार देती है और 30 फीसदी राज्य सरकार वहन करती है। अटाॅर्नी जनरल ने कोर्ट से कहा कि सरकार को इसके लिए कानून लाने के लिए 4 हफ्तों का समय चाहिए।
बिहार में नियोजित शिक्षकों के मामले में पहले सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब चपरासी को 36 हजार रुपये वेतन दिया जाता है तो छात्रों का भविष्य बनाने वाले शिक्षकों को सिर्फ 25 हजार ही क्यों दिए जाते हैं। वर्तमान में नियोजित शिक्षकों (ट्रेंड) को 20-25 हजार रुपए वेतन मिलता है। अगर समान कार्य के बदले समान वेतन की मांग मान ली जाती है तो शिक्षकों का वेतन 35-44 हजार रुपए हो जाएगा। इसके पहले 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर राज्य सरकार को झटका दिया था। कोर्ट ने तब सरकार को यह बताने के लिए कहा था कि नियोजित शिक्षकों को सरकार कितना वेतन दे सकती है? इसके लिए लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी तय कर बताए। अब 12 जुलाई को इस मामले में सुनवाई होगी