नई दिल्ली: कार 80 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा स्पीड चलेगी तो कार में लगा आटोमैटिक अलार्म बजने लगेगा. जब तक कार की स्पीड कम नहीं करेंगे, तब तक अलार्म बजता रहेगा. सेंट्रल गर्वमेंट रोड एक्सीडेंट्स पर कंट्रोल करने के लिए ऐसा रूल बना रही है, जिनका पालन कार मैन्युफैक्चरर्स को करना होगा.
तीन से छह महीने में लागू हो सकते हैं नियम
सेंट्रल गर्वमेंट ने इन रूल्स का फाइनल ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. तीन से छह महीने में ये रूल लागू किए जाने की संभावना है. इन रूलों में एक्सीडेंट्स रोकने के लिए कई और प्रावधान किए जायेंगे.
नए सिक्युरिटी फीचर्स जोड़े गए
सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने आटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड का फाइनल ड्राफ्ट तैयार किया है. इसमें कैटेगिरी एम और एन व्हीकल के लिए नये सिक्युरिटी फीचर्स जोड़े गये हैं.
स्पीड अलर्ट सिस्टम: एम-1 कैटेगिरी यानी पैसेंजर व्हीकल्स में स्पीड अलर्ट सिस्टम लगाया जायेगा. जो ओवर स्पीड होने पर ड्राइवर को अलर्ट करेगा.। पुलिस व्हीकल्स, एंबुलेंस समेत कुछ वाहनों को छूट दी जायेगी.
सेफ्टी बेल्ट: ड्राइवर या उसके बगल की सीट पर बैठा शख्स सीट बेल्ट नहीं लगाता तो उसे अलर्ट करने का इंतजाम होगा. वाहनों में यह वॉर्निंग लाइटिंग, ब्लिंकिंग या विजुअल डिस्पले के रूप में हो सकती है. इसके अलावा सेकेंड लेवल वॉर्निंग के तौर पर ऑडियो वार्निंग की व्यवस्था होगी.
एयरबैग: सभी कारों में कम से कम ड्राइवर एयरबैग लगाना जरूरी होगा.
रिवर्स पार्किंग अलर्ट: सभी वाहनों में व्हील रिवर्स पार्किंग अलर्ट भी लगाना अनिवार्य होगा. इसमें कार के पीछे सेंसर होगा, जो एक निर्धारित रेंज में किसी भी चीज या व्यक्ति के आने पर बजने लगेगा.
क्या है एम और एन कैटेगिरी?
एम कैटेगिरी: कम से कम चार पहिया पैसेंजर व्हीकल को एम कैटेगिरी में रखा गया है. इसमें स्टैंडर्ड कार ( 2, 3, 4 डोर) को शामिल किया गया है.
एम-1 कैटेगिरी: ऐसे पैसेंजर व्हीकल, जिसमें 8 सीट से ज्यादा न हों (इसमें एसयूवी, कार, वैन, जीप शामिल हैं।)
एन कैटेगिरी: कम से कम चार पहिया गुड्स व्हीकल (पिकअप ट्रक, वैन, कॉमर्शियल ट्रक शामिल हैं.)
लोगों से मांगे सुझाव
मिनिस्ट्री ने एडिशनल सेफ्टी फीचर्स का फाइनल ड्राफ्ट मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर अपलोड किया है. इस पर 19 अप्रैल तक सुझाव मांगे गये हैं.
एक साल पांच लाख से ज्यादा सड़क हादसे
वर्ष 2015 से वर्ष 2016 के बीच सड़क हादसों में कमी आयी है.अभी भी सालभर में लगभग पांच लाख एक्सीडेंट हो रहे हैं. वर्ष 2015 में पांच लाख 1423 एक्सीडेंट्स हुए, जो 2016 में घटकर 4 लाख 80 हजार 652 हो गये हैं. हादसे कम हुए, लेकिन एक्सीडेंट में मरने वालों की तादाद बढ़ी है. वर्ष 2015 में सड़क हादसों में एक लाख 46 हजार 133 लोगों की मौत हुई, जबकि 2016 में एक लाख 50 हजार 785 लोग मारे गये. इसमें लगभग 35% मौतें नेशनल हाईवे पर हुयी है.