असम के एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी ने दावा किया है कि विदेशी न्यायाधिकरण ने उन्हें नोटिस भेजकर यह साबित करने को कहा है कि वह अवैध बांग्लादेशी प्रवासी नहीं हैं, बल्कि एक भारतीय नागरिक हैं. जूनियर कमीशन्डऑफिसर (जेसीओ) मोहम्मद अजमल हक 30 सितंबर 2016 को सेवानिवृत्त हुए थे. उन्होंने बताया कि उन्हें नोटिस मिला है जिसमें उन्हें संदिग्ध मतदाता श्रेणी में रखा गया है. मो अजमल ने कहा कि इसमें उन पर यह आरोप भी लगाया गया है कि वह उचित दस्तावेजों के बिना 1971 में भारत आये थे.
13 अक्टूबर को होंगे न्यायाधिकरण के समक्ष पेश
हक ने कहा, ‘‘मैंने 30 साल तक भारतीय सेना की सेवा की है.’’ उन्होंने कहा कि नोटिस में उनसे 13 अक्तूबर को संबंधित दस्तावेजों के साथ एक स्थानीय न्यायाधिकरण के समक्ष पेश होने को और अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने को कहा गया है. सेवानिवृत्त जेसीओ ने कहा कि वह 11 सितंबर की पहली तारीख को न्यायाधिकरण में पेश नहीं हो सके थे, क्योंकि उन्हें नोटिस उस तारीख के बाद मिला था. अब वह 13 अक्तूबर को न्यायाधिकरण के सामने पेश होंगे.
हक ने कहाः अगर अवैध प्रवासी हूं तो कैसे दी भारतीय सेना को सेवा
हक कहते हैं, अगर मैं अवैध प्रवासी हूं तो फिर मैंने भारतीय सेना में कैसे अपनी सेवा दी. मैं बहुत दुखी हूं. 30 साल देश की सेवा करने का मुझे ये इनाम मिला है. मेरी पत्नी को भी इसी तरीके से प्रताड़ित किया गया था.’ बता दें कि हक की पत्नी मुमताज बेगम को इसी ट्राइब्यूनल ने 2012 में तलब कर नागरिकता साबित करने को कहा था. हक के मुताबिक, उस वक्त वह चंडीगढ़ में तैनात थे. यहां गौर करने वाली बता यह भी है कि जिस हलफनामे में उन्हें भारतीय नागरिक माना गया है, उसमें हक का नाम उनके पति के रूप लिखा हुआ है.