विपक्ष के कुछ नेताओं ने अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के बीच एकजुटता लाने की अपील करते हुए दावा किया कि आपातकाल की तरह ही अभी लोकतंत्र खतरे में है.
एकजुटता जेपी के लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि
यादव ने जय प्रकाश (जेपी) नारायण की 115 वीं जयंती के अवसर पर एक कार्यक्रम में कहा कि 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए विपक्षी पार्टियों को एकजुट करना जेपी को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी.ल गौरतलब है कि जेपी ने इंदिरा गांधी नीत कांग्रेस सरकार के खिलाफ विपक्ष को एकजुट किया था जिससे 1977 के लोकसभा चुनाव में इस पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. इंदिरा के आपातकाल हटाने के बाद यह चुनाव हुआ था.
आपातकाल के दौरान वाला खतरा फिर आया सामने
येचुरी ने कहा कि आपातकाल के दौरान देश में जो खतरा था वह फिर से सामने आ गया है और अभी स्थिति कहीं अधिक भयावह है. उन्होंने कहा कि जेपी स्वतंत्रता, लोकतंत्र और विकास के लिए लड़े, जबकि ये तीनों ही चीजें अब खतरे में है. उन्होंने कहा कि यदि भारत को बचाना है, तो वक्त आ गया है कि धर्मनिरपेक्ष पार्टियां एकजुट हो. उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार की नीतियों से समाज का हर तबका गुस्से में है. उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस का मुख्य लक्ष्य भारत को एक हिंदू राष्ट्र में तब्दील करना है और वे 2019 का चुनाव जीतने के लिए समाज को सांप्रदायिक आधार पर बांटने का सहारा लेंगे.
नोटबंदी और जीएसटी को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना
माकपा नेता ने कहा कि यदि विपक्षी पार्टियां एक साथ नहीं चल सकती तो फिर उन्हें साथ मिल कर प्रहार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सारी विपक्षी पार्टियां यदि साथ नहीं आ सकती हैं तो भी उन्हें भाजपा को हराने का लक्ष्य अपने मन में रखना चाहिए. उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि 1977 में जनसंघ को विपक्ष के साथ शामिल होने का न्योता दिए जाने पर उनकी पार्टी ने जेपी से असहमति जताई थी. यादव और येचुरी ने नोटबंदी और जीएसटी को लेकर भी केंद्र सरकार की आलोचना की.
यादव ने अधिवक्ता शांति भूषण के इस विचार से भी सहमति जताई कि सिर्फ एक विभाजित विपक्ष ही भाजपा के लिए अगला लोकसभा चुनाव जीतने की आशा है।
भूषण 1977 में बनी जनता पार्टी सरकार में कानून मंत्री थे. इससे पहले भूषण ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि देश में शासन एक ऐसा नेता कर रहा है जो यह मानता है कि इसकी समस्याओं को अच्छे भाषणों से हल किया जा सकता है.