पांच मांगों पर प्रबंधन अडिग, यूनियन पर बना रहे हैं दबाव
जेबीसीसीआइ की बैठक से पूर्व कोयला मंत्री के साथ हुई थी सीएमडी व डीटी की बैठक
नई दिल्ली. कोल इंडिया मुख्यालय कोलकाता में 31अगस्त को जेबीसीसीआइ की बैठक में वेजबोर्ड 10 के एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर नहीं होने के बाद अब मजदूर संगठनों नयी रणनीति पर विचार कर रहे हैं. इसके अनुसार आगामी 18 सितंबर की जेसीसी एपेक्स शीर्ष निकाय की बैठक में सहमति नहीं बनी तो चारों यूनियन मिल कर कोल इंडिया में संघर्ष का शंखनाद करेंगी.
प्रबंधन का रुख कायम : 31 अगस्त को कोल इंडिया मुख्यालय कोलकाता में जेबीसीसीआइ की बैठक में बैठक में प्रबंधन ने मजदूर व उद्योग से जुड़ी पांच अहम मांगों पर अपनी ओर से यूनियन नेताओं पर पुरजोर दबाव बनाया. इनमें अनुकंपा व आश्रित की बहाली पूरी तरह बंद करने, संडे ओटी बंद करने, 37 खदानों को बंद कर वीआरएस योजना लाने, संडे को स्ट्रेगर डे घोषित करने की मांग शामिल थी. प्रबंधन का कहना था कि संडे को अब रेस्ट नहीं मिलेगा. सप्ताह में सात दिन काम करना होगा. प्रबंधन अपने मन मुताबिक सप्ताह में किसी एक दिन रेस्ट देगा.
जिच हुई तो होगा आंदोलन : मालूम हो कि मजदूरों के मौजूदा संडे प्रावधान में दो दिनों की हाजिरी मिलती है. ठेका मजदूरों को हाई पावर कमेटी की अनुशंसा के तहत वेतन बढ़ोतरी व सुविधा देने की भी मांग की गयी. प्रबंधकीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जेबीसीसीआइ की बैठक से पहले कोयला मंत्री पीयूष गोयल के साथ विभिन्न कंपनियों के सीएमडी व डीटी की बैठक हुई थी. इसमें उक्त मुद्दों पर चर्चा हुई थी. एटक नेता लखन लाल महतो के अनुसार 2015 में भी जब यूनियनों ने पांच दिन की हड़ताल का नोटिस दिया था उस वक्त कोयला मंत्री ने कमेटी गठित की थी. कमेटी में जमीन के बदले तथा डेथ केस में नौकरी नहीं देने की बात कही गयी थी. प्रबंधन का स्पष्ट कहना है कि कोल इंडिया में 60 फीसदी उत्पादन आउटसोर्स से हो रहा है, इसलिए अब रेगुलर कोल कर्मियों को अधिक सुविधा नहीं दी जा सकती. देश के दूसरे पीएसयू सेल व डीवीसी की तरह हर नियम को अब प्रबंधन कोल इंडिया में लागू करना चाहता है. उन्होंने सहमति नहीं बनने की स्थिति में आंदोलन का संकेत दिया.