नावाडीह का दुकानदार है हरेंद्र कुमार
पॉलिटेक्निक कॉलेज के पास से शुक्रवार की सुबह रहस्यमय तरीके से अगवा युवक हरेंद्र कुमार (24) शाम छह बजे के आसपास धनबाद थाना में हाजिर हो गया. डीएसपी लॉ एंड ऑर्डर नवल शर्मा स्वयं पूरे मामले की जांच कर रहे हैं. युवक नावाडीह का रहने वाला है. उसके पिता दीप नारायण साव सेवानिवृत्त बीसीसीएल कर्मचारी हैं. पुलिस इस संबंध में जानकारी जुटा रही है. पुलिस इसे अपहरण नहीं मान रही है. पीड़ित युवक नावाडीह में राशन दुकान चलाता है. पुलिस का कहना है कि कुछ माह पहले बिहार की लखीसराय पुलिस उसके बड़े भाई पप्पू को किसी मामले में ढूंढते हुए उसके घर पहुंची थी.
बाइक से टक्कर मारी और उठा ले गये
हरेंद्र ने बताया कि सुबह वह क्रिकेट खेलने अपनी बाइक (जेएच 10 एएल 1508) से बस्ताकोला जा रहा था. पॉलिटेक्निक मोड़ के पहले उसने एक स्कॉर्पियो को पीछे से टक्कर मार दी. जब वह भागने लगा तो स्कॉर्पियो सवार ने पीछा कर पॉलिटेक्निक मोड़ के पास उसे पकड़ लिया. मारपीट कर उसे अपने कार में बैठा कर शक्ति चौक के निकट किसी सादे रंग के अपार्टमेंट में रखा. इस दौरान उसके साथ मारपीट भी की गयी. शाम चार बजे के आसपास उसे कांको मठ के पास छोड़ दिया गया. वहां से वह किसी तरह धनबाद थाना पहुंचा. उसके साथ उसके माता-पिता भी थाना पहुंचे.
हरेंद्र के बयान पर उठ रहे सवाल
हरेंद्र ने पुलिस को बताया कि उसने स्कॉर्पियो में पीछे से टक्कर मारी थी. उसके बाद उस कार में बैठे सात आठ लोगों ने उसे उठा लिया. आंखों पर पट्टी बांध दी और दिन भर शक्ति चौक के पास एक अपार्टमेंट में रख कर मारपीट की. शाम को उसे कांको मठ के पास छोड़ दिया. जब घटना के समय भी वह किसी का चेहरा नहीं देख पाया, उनकी आंखों में पट्टी बंधी थी तो उसे शक्ति चौक व कांको मठ का पता कैसे चल गया. उसे अपार्टमेंट व उसके सफेद रंग की जानकारी कैसे हुई. अपहरण के बाद उसे क्यों छोड़ दिया. यदि उसके साथ मारपीट की गयी तो उसके चेहरे व शरीर पर कोई निशान क्यों नहीं है. ऐसे कई सवाल उठ रहे हैं.