तीन तलाक के मुद्दे पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर 6 महीने के लिए रोक बना दी है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र सरकार संसद में इसको लेकर कानून बनाए. सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायधीश जेएस खेहर के नेतृत्व में 5 जजों की पीठ ने अपना फैसला सुनाया.
बता दें कि इस मामले में 11 से 18 मई तक रोजाना सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए आज का दिन मुकर्रर किया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि मुस्लिम समुदाय में शादी तोड़ने के लिए यह सबसे खराब तरीका है. ये गैर-ज़रूरी है. कोर्ट ने सवाल किया कि क्या जो धर्म के मुताबिक ही घिनौना है वह कानून के तहत वैध ठहराया जा सकता है? सुनवाई के दौरान यह भी कहा गया कि कैसे कोई पापी प्रथा आस्था का विषय हो सकती है.
दरअसल, शायरा बानो ने तीन तलाक के खिलाफ कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की थी. इस पर शायरा का तर्क था कि तीन तलाक न तो इस्लाम का हिस्सा है और न ही आस्था. उन्होंने कहा कि उनकी आस्था ये है कि तीन तलाक मेरे और ईश्वर के बीच में पाप है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी कहता है कि ये बुरा है, पाप है और अवांछनीय है.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दलील
वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि तीन तलाक का पिछले 1400 साल से जारी है. अगर राम का अयोध्या में जन्म होना, आस्था का विषय हो सकता है तो तीन तलाक का मुद्दा क्यों नहीं.