सीबीआइ की बड़ी कार्रवाई, पूर्व सीएमडी लाहिड़ी, डीटी सरकार, झा समेत नौ के खिलाफ एफआइआर
विश्वस्त सूत्र से प्राप्त जानकारी के आधार पर बीसीसीएल के पूर्व सीएमडी टीके लाहिड़ी (ए-1), पूर्व निदेशक (तकनीकी) परियोजना तथा परिकल्पना अशोक सरकार (ए-2), पूर्व निदेशक (तकनीकी) दिनेश चंद्र झा (ए-3), पूर्व महाप्रबंधक (उत्खनन) एएन सहाय (ए-4), पूर्व महाप्रबंधक (उत्खनन)(परिसंपत्ति) एसके पाणिग्रही (ए-5), पूर्व महाप्रबंधक (उत्खनन)(विभाग प्रमुख) बराइन सिन्हा (ए-6), पूर्व महाप्रबंधक (सामग्री प्रबंधन)(क्रय) जी उप्रेती (ए-7), पूर्व महाप्रबंधक (वित्त) एके गंगोपाध्याय (ए-8) सभी ने अपने कार्यकाल में मे. लार्सन एंड टुब्रो (ए-9), बंगलोर (अपने निदेशक के जरिये प्रस्तुत) व अन्य अज्ञात वर्ष 2012-2013 के दौरान भारत सरकार के एक प्रतिष्ठान बीसीसीएल को ठगने तथा धोखा देने के इरादे से एक आपराधिक षड्यंत्र में शामिल हुए. कथित आपराधिक षड्यंत्र के अनुसार आरोपित लोक सेवकों ने बेईमानी तथा धोखाधड़ी से हेरफेरवाले मांगपत्र (इंडेंट) को अग्रसारित, अनुशंसित तथा अनुमोदित किया. इससे बिना किसी दस्तावेज तथा सीएमपीडीआइएल की विशेषज्ञता की राय के उन्होंने समेकित क्रय प्रस्ताव को पहल करते हुए/अग्रसारित/अनुशंसित/अनुमोदित किया. छह सालों के एमएआरसी के साथ 383.92 करोड़ के 35 टन क्षमतावाले 100 अदद टिपर की खरीद के लिए सामग्री बदलाव के औचित्य में कोई वाजिब वजह नहीं बतायी गयी. यह सौदा क्षेत्र में कार्यरत 35 टन क्षमतावाले 100 अदद डंपरों को बेकार साबित (सर्वे ऑफ) करके किया जा रहा था. जबकि तथ्य है कि डंपर खनन कार्यों के लिए सर्वथा अनुकूल है. यह लंबे समय से इस्तेमाल के बाद डंपर के बारे में यह राय बनी. बिना वजह के सामग्री में बदलाव का यह कदम कोल इंडिया लिमिटेड के क्रय संबंधी नियमावली/परिपत्रों/दिशानिर्देशों का उल्लंघन था तथा आरोपित लोक सेवकों ने निविदा समिति के सदस्य की हैसियत से निविदा की अनुशंसा एलएंडटी के पक्ष में कर दी जिसे बाद में अनुमोदित कर दिया गया. इसके बाद 10.07.2013 को मे. एल एंड टी के पक्ष में क्रयादेश जारी कर आर्थिक नुकसान हुआ. टिपर के लिए मानकों की अनदेखी : आरोप लगाया जाता है कि बीसीसीएल की खदान लंबाई-चौड़ाई की सीमाओं वाली छोटी पट्टियां(पैच) हैं तथा डंपर गहरे सीम, लंबाई-चौड़ाई में हॉल रोड के सीमित होने के कारण सिर्फ बीसीसीएल की कोलियरियों में आवागमन करने योग्य हैं. डंपर विशेष रूप से हाइ वे से इतर इस्तेमाल के अनुकूल, जबकि टिपर हाइ वे पर परिचालन के लिए उपयुक्त हैं. डंपर बीसीसीएल तथा सीआइएल की अन्य अनुषंगी कंपनियों में इस्तेमाल होते थे तथा लंबे समय तक इस्तेमाल होने के कारण यह समय सिद्ध उपकरण मान लिया गया. आरोप है कि 31.07.2012 से 03.08.2013 के बीच बीसीसीएल के विभिन्न क्षेत्रों में सर्वे ऑफ किये गये 100 अदद 35 टन क्षमता वाले डंपर (जैसे कि 22.52 क्यूबिक वहन क्षमता) को छह साल के एमएआरसी के साथ प्रतिस्थापित करने (बदलने) की प्रक्रिया पूरी की गयी.
इरादतन किया सर्वे ऑफ : इसकी औपचारिकता तत्कालीन महाप्रबंधक (उत्खनन) एएन सहाय ने पूरी की जो कि 23.04.2009 को सीआइएल के डीटी (पीएंडपी) द्वारा जारी एचइएमएम के अपग्रेडेशन से संबंधित निर्देश का उल्लंघन थी. प्रस्ताव की अनुशंसा कंपनी के तत्कालीन डीटी (पीएंडपी) अशोक सरकार ने की तथा अंतत: कंपनी के तत्कालीन सीएमडी, धनबाद टीके लाहिड़ी ने 26.10.2012 को इसे अनुमोदित कर दिया. इसके बाद बीसीसीएल के सामग्री प्रबंधन विभाग ने छह साल के एमएआरसी के साथ 35 टन के 100 अदद डंपर की प्राप्ति के लिए निविदा आमंत्रण सूचना तैयार की. इसके लिए क्षेत्र में कार्यरत 35 टन क्षमता वाले 100 अदद डंपर को सर्वे ऑफ कर दिया गया.
इस तरह हुआ एनआइटी में हेरफेर : आरोप है कि साजिश की मदद के लिए तत्कालीन महाप्रबंधक (उत्खनन) एएन सहाय ने प्रस्तावित निविदा आमंत्रण सूचना (एनआइटी) के लिए तकनीकी विशेषता, प्रस्तावित एनआइटी के साथ संलग्न मसौदा तकनीकी आकलन के मानक तथा विशेषता उपलब्ध करवायी जो कि टिपर निर्माता कंपनी के अनुकूल बनाने के लिए किया गया था. 26.10.2012 को प्रस्तावित एनआइटी में टिपर शामिल करने के लिए टिप्पणी (नोट) लिखी तथा निविदा आमंत्रण सूचना (एनआइटी) में बदलाव के लिए इसे सौंप दिया. इस बदले हुए प्रस्ताव को तत्कालीन डीटी पी एंड पी अशोक सरकार ने अनुशंसित कर दिया तथा तत्कालीन सीएमडी टीके लाहिड़ी ने 26.10.2012 को अनुमोदित कर दिया. इन लोगों ने एनआइटी में यह परिच्छेद जोड़कर प्रस्तावित, अनुशंसित तथा अनुमोदित किया कि बोली के तकनीकी भाग के लिए 85 प्वाइंट से कम वाले बोली में शामिल होने योग्य नहीं माने जायेंगे. आरंभ में तो बीसीसीएल प्रबंधन ने छह साल के एमएआरसी के साथ 3.5 टन वाले 100 अदद डंपरों के क्रय प्रस्ताव के लिए मांगपत्र अनुमोदित किया, पर बाद में सीआइएल की क्रय नियमावली (पर्चेज मैनुअल) के अनुसार सीएमपीडीआइएल से इंडोर्समेंट हासिल किया बिना ही इसमें टिपर जोड़ दिया गया.
मूल्य से अधिक रखरखाव का खर्च : आरोप है कि छह साल के एमएआरसी के साथ 35 टन क्षमतावाले 100 अदद रीयर डंपर्स की आपूर्ति के लिए 12/13.10.2012 को एनआइटी तथा 29.10.2012 को शुद्धिपत्र प्रकाशित किया. इसका प्राक्कलित मूल्य 383.92 करोड़ (उपकरण के लिए 138.77 करोड़ + छह साल के एमएआरसी के लिए 250.15 करोड़) था. निविदा आमंत्रण सूचना (एनआइटी) तो डंपर के लिए थी, पर उपकरण की खासियत डंपर के साथ-साथ टिपर के लिए भी थी. एनआइटी के साथ संलग्न तकनीकी आकलन तथा विशेषता टिपर निर्माता के अनुकूल रखी गयी थी. इसके जवाब में चार बोलियां आयीं, जिनमें से एक को प्वाइंट के आधार पर बोली में शामिल होने लायक नहीं माना गया. शेष बीइएमएल धनबाद(भारत सरकार का प्रतिष्ठान), टाटा हिटाची कंस्ट्रक्शन कं. लि. जमशेदपुर (डंपर के लिए) तथा वीइ कॉमर्शियल वेहिकल्स लि. बंगलोर (टिपर के लिए)तीन कंपनियां बोली की दौड़ में बच गयीं. तकनीकी विशेषता के आकलन के बाद बीइएमएल तथा टीएचसीएम को क्रमश: 65.43 तथा 72.08 प्वाइंट मिले, जिन्होंने सिर्फ डंपर का प्रस्ताव दिया था. चूंकि तकनीकी विशेषता वीइसीवी को मदद के लिए जोड़ी गयी थी. इसे तकनीकी विशेषता आकलन में 100 में 98.19 प्वाइंट मिले. न्यूनतम 85 प्वाइंट की अर्हता पर खरा नहीं उतरीं और लोक सेवकों के इस हेरफेर के कारण उक्त दोनों कंपनियां भी दौड़ से बाहर हो गयीं.
स्वतंत्र निरीक्षक के समक्ष लायी गयीं विसंगतियां : निविदा आमंत्रण सूचना (एनआइटी) में तकनीकी विशेषता से संबंधित विसंगतियों को बीइएमएल ने दिसंबर 2012 से फरवरी 2013 के दौरान प्रकाश में लाया. उन्होंने बताया कि उच्च पथ से इतर चलनेवाले डंपरों के तकनीकी मापदंडों की अपेक्षा टिपर के तकनीकी मापदंड पूरी तरह समान नहीं थे. इस स्थिति में तकनीकी विशेषता का आकलन कहीं से उचित नहीं था जैसा कि दिखाया गया है. यह मुद्दा उन्होंने स्वतंत्र बाह्य निरीक्षक (आइइएम) के समक्ष उठाया. बीइएमएल की प्रस्तुति पर विचार करते हुए 25.02.2013 को निविदा के निरस्तीकरण के लिए अनुमोदन किया गया और 19.03.2013 को निविदा को निरस्त कर दिया गया. लेकिन इसी बीच डीसी झा, बराइन सिन्हा, जी उप्रेती, एके गंगोपाध्याय वाली निविदा समिति ने 14.02.2013 को मूल्य बोली खोल दी. इस बोली में सिर्फ वीइसीवी रह गयी थी. कुल संदर्भित मूल्य 332.44 करोड़ रु था. श्री लाहिड़ी ने आइइएम की टिप्पणी पर इसकी सिफारिश के अनुपालन की अनुशंसा कर दी तथा अगली निविदा में डंपर तथा टिपर पर निर्णय करने को कह दिया. श्री लाहिड़ी ने यह निर्देश श्री सरकार को दिया. और इस तरह 19.03.2013 को निविदा निरस्त कर दी गयी.
स्वतंत्र निरीक्षक के निर्देश की अनदेखी : आरोप है कि बीसीसीएल की कोलियरियों में डंपर की अनुकूलता, साध्यता तथा समय सिद्ध प्रयोग को लेकर न तो आइइएम की टिप्पणी पर विचार किया गया और न ही सीएमपीडीआइएल को संदर्भित किया गया. 35 टनवाले डंपर को हटाते हुए 35 टन वाले 100 अदद टिपर की प्राप्ति के लिए बीसीसीएल के उच्च पदस्थ पदाधिकारियों टीके लाहिड़ी, अशोक सरकार, दिनेश चंद्र झा, एसके पाणिग्रही, बराइन सिन्हा के आग्रह पर बीसीसीएल के क्षेत्रों से मांगपत्र हासिल किये गये. क्षेत्र के जिन अधिकारियों ने पूर्व में इस्तेमाल से हटाये गये डंपर्स के एवज में डंपर का मांगपत्र भेजा था, उन्होंने ही बेईमानी और आपराधिक इरादे से टिपर की जरूरत दर्शाते हुए मांगपत्र बदल डाला. 19.03.2013 को हुए निविदा निरस्तीकरण से पूर्व 15.03.2013 से 16.03.2013 के बीच बीसीसीएल के दस क्षेत्रों में से नौ क्षेत्रों से नौ मांगपत्र मंगाये गये यह दर्शाते हुए कि उनकी जरूरत डंपर की जगह टिपर की है. आवश्यकता में सामग्री परिवर्तन के लिए मांगपत्र के कागजात में कोई वजह नहीं बतायी गयी थी. मांगपत्र में इस हेरफेर के आधार पर बिना किसी जरूरी कागजात तथा विशेषज्ञ सीएमपीडीआइएल की राय के बिना एसके पाणिग्रही तथा बराइन सिन्हा की संयुक्त पहल से छह साल के एमएआरसी के साथ 35 टन की क्षमता के 100 अदद टिपर के लिए 20.03.2013 को समेकित क्रय प्रस्ताव की औपचारिकता शुरू कर दी गयी. इस प्रस्ताव की अनुशंसा 21.03.2013 को तत्कालीन डीटी अशोक सरकार ने की तथा 25.03.2013 को तत्कालीन सीएमडी टीके लाहिड़ी ने इसे अनुमोदित कर दिया. 23.03.2013 को एक निविदा आमंत्रण सूचना निर्गत की गयी जिसमें मे. एल एंड टी, मे टाटा मोटर्स तथा वीइसीएम लि ने भाग लिया. डीसी झा, बराइन सिन्हा, जी उप्रेती, एके गंगोपाध्याय वाली निविदा समिति ने इरादतन मिलजुल कर बेईमानी के साथ मे. एल एंड टी के पक्ष में 309.57 करोड़ संविदा की अनुशंसा कर दी. इस निविदा समिति ने न सिर्फ अत्यधिक कीमत पर 35 टन टाइप के टिपर (मडल स्कानिया पी380, वहन क्षमता 18.8 घनमीटर ) क्रय की अनुशंसा की, बल्कि 97.04 करोड़ के मनमाने दाम पर रखरखाव को अनुशंसित किया. सभी गड़बड़ियों के बावजूद श्री लाहिड़ी ने 35 टन क्षमता वाले 100 अदद टिपर (वित्तीय वर्ष 2013 से 2019 के लिए) की आपूर्ति के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया. आरोप है कि श्री लाहिड़ी ने डीसी झा द्वारा तैयार एजेंडा नोट को अनुमोदित कर दिया तथा कथित क्रय प्रस्ताव बीसीसीएल के निदेशक मंडल से 26.06.2013 को अनुमोदित करा लिया. इस काम के लिए यह तथ्य छिपा लिया गया कि ये टिपर मौजूदा डंपर की जगह मंगवाये जा रहे हैं. इसके बाद बीसीसीएल की ओर से 10.07.2013 को मे एलएंडटी के पक्ष में 35 टन की क्षमतावाले 100 टिपर का क्रयादेश जारी किया गया. कंपनी इन टिपर्स की आपूर्ति करके भुगतान ले लिया. इसके अलावे बीसीसीएल कंपनी को एमएआरसी के एवज में 2019 तक भुगतान करता रहेगा.
97.04 करोड़ का नुकसान : आरोप है कि मे. एल एंड टी द्वारा आपूर्ति किये गये टिपर्स में अधिकांश अप्रयुक्त पड़े हुए हैं, क्योंकि इनकी उपयोगिता 2.05 से 37.71 प्रतिशत तक है. जबकि कंपनी का परामर्शदाता प्रतिष्ठान सीएमपीडीआइएल ने टिपर की उपयोगिता का मानक 50 प्रतिशत तय किया हुआ है. इस तरह मे. एल एंड टी को गलत ढंग से फायदा पहुंचाने के लिए कंपनी को 97.04 करोड़ का नुकसान हुआ है.
धारा 420के तहत बने अभियुक्त : प्रथम दृष्ट्या जैसे आरोप लगाये गये हैं वे संज्ञेय अपराध का खुलासा करते हैं जो कि आइपीसी की धारा 120-बी आर/डब्ल्यू, 420 तथा पीसी एक्ट 1988 की धारा 132(2) आर/डब्ल्यू, 13(1)(डी) के तहत उक्त व्यक्ति नामजद आरोपित किये जाते हैं तथा इसलिए आरसी. 8(ए)/2017-डी के अंतर्गत टीके लाहिड़ी, अशोक सरकार, डीसी झा, एएन सहाय, एसके पाणिग्रही, बराइन सिन्हा, जी उप्रेती, एके गंगोपाध्याय , मे. लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड, बंगलोर (अपने निदेशक के जरिये प्रस्तुत) तथा अन्य अज्ञात के खिलाफ आइपीसी की धारा 120-बी, 420 तथा पीसी एक्ट 1988 की 13(2) आर/डब्ल्यू, 13(1)(डी) के तहत एक नियमित केस दर्ज किया गया है.
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कब क्या हुआ
तिथि घटना
30.07.2012 से — 100 डंपर सर्वे ऑफ किये गये
03.08.2012
26.10.2012 — प्रस्तावित निविदा के लिए एएन सहाय ने नोट तैयार किया
26.10.2012 — निविदा प्रस्ताव को सीएमडी ने अनुमोदित किया
12/13.10.2012 –एनआइटी निर्गत
29.10.2012 —शुद्धि पत्र
25.02.2013 आइएएम की टिप्पणी पर एनआइटी निरस्तीकरण का अनुमोदन
19.03.2013 निविदा निरस्त
14.02.2013 332.44 करोड़ के मूल्य की बोली खोली गयी
15.03.2013- क्षेत्रों से डंपर की जगह टिपर के मांगपत्र मंगाये गये
20.03.2013
15.03.2013- अनुमोदन के लिए मांग पत्र प्रस्तुत
16.03.2013
20.03.2013 –समेकित क्रय प्रस्ताव पर अधिकारियों ने औपचारिकता शुरू की
21.03.2013 –अशोक सरकार ने समेकित मांगपत्र को अनुशंसित किया
25.03.2013 –सीएमडी लाहिड़ी ने समेकित मांगपत्र को अनुमोदित किया
26.03.2013 –श्री लाहिड़ी निदेशक मंडल से मांगपत्र को अनुमोदित करा लिया
10.07.2013 –क्रयादेश निर्गत
08.09.2017 –सीबीआइ (एसीबी) एसपी ने प्राथमिकी की.