बैंको ने बार-बार यह बातें लोगों को बतायी है कि अपना एटीएम का पिन नंबर किसी को न बतायें. बैंक कभी भी फोन पर ग्राहकों से पिन नंबर नहीं पूछता. एटीम कियोस्क में किसी अन्य की मदद न लें. फोन कॉल पर अपने खाते से संबंधित जानकारी शेयर न करें. लॉटरी में करोड़ो रूपये मिलने, लक्जरी कार या लकी ग्राहक बनने की बातों पर विश्वास न करें.
ऐसी चेतावनियों के बाद भी हर रोज साइबर ठगी हो रही है. इन सबके पीछे मूल कारण आम लोगों की लापरवाही और उनका सीधापन है. ठगों द्वारा फोन कॉल पर जब कहा जाता है कि आप लकी ग्राहक हैं और आपको लॉटरी में कार मिली है. उसके प्रोसेसिंग के लिये अकाउंट की जानकारी और पैसे मांगे जाते हैं. साथ ही लॉटरी लगने की बात किसी को न बताने को कहा जाता है. लोग इनकी चिकनी-चुपड़ी बातों में आकर फंस जाते हैं. गांवों कस्बे के अलावा शहरों के लोग भी इस ठगी का शिकार होते हैं. आश्चर्य की बात यह है कि पढ़े लिखे लोगों के अलावा कम पढ़े लिखे लोग भी आज स्मार्टफोन और सोशलसाइट्स निपुणता से चलाते हैं और हर रोज ऐसी ठगी की खबरें, पोस्ट सोशल साइट्स पर दिख जाती हैं, फिर भी लोग इसके शिकार होते रहते हैं.
ठगी के मामले पर एक नजर
गोंदा थाना क्षेत्र के एक महिला सीसीएल कर्मी से फेसबूक पर दोस्ती कर पार्सल छुड़वाने के नाम पर 20 लाख रूपया ठग लिया गया.
लालपुर में एक महिला चिकित्सक भी अपने फेसबुक फ्रेंड के जाल में फंसी थी. महिला ने लालपुर थाना में फेसबुक फ्रेंड की शिकायत दर्ज करायी थी. महिला से भी गिफ्ट भेजने के नाम पर साढ़े तीन लाख रूपये ठग लिये गये, गिफ्ट अबतक नहीं मिला है.
एक शिक्षिका से साइबर ठगों ने लाखों रूपये एसयूवी देने के नाम पर ठग लिया. उस शिक्षिका ने किसी को भी यह बात नहीं बतायी थी और बार-बार ठगों के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करती रही. जब तक उसे ठगी का अहसास हुआ तब तक वो चार लाख रूपये गवां चुकी थी. बाद में केस और जांच करने पर साइबर ठगों का लोकेशन जामताड़ा में मिला.
इन तरीकों से ही आम आदमी को अपना शिकार बनाया जाता है. ठग इस राशि का उपयोग कर लेता है, जिस कारण वापसी में भी समस्या होती है. आरोपी लोगों को कई तरह के प्रलोभन देते हैं. जैसे मोबाईल रिचार्ज करवाना, डिस टीवी रिचार्ज, ऑनलाईन खरीदारी सहित कई तरह के झांसे में लोगों को फंसाया जाता है. ठगी गयी राशि खर्च कर लेते हैं. बाद में पुलिस भी राशि वापस करने में असमर्थ हो जाती है.
ये है ठगी के तरीके
फर्जी बैंक अधिकारी बनकर एटीएम की गोपनीय जानकारी पूछकर ऑनलाईन ठगी करना.
एटीएम कार्ड बदलकर ठगी करना.
एलआईसी अधिकारी या इंश्योरेंस कंपनी का अधिकारी बनकर ठगी करना.
फेसबुक फ्रेंड बनकर गिफ्ट देने और उसे छुड़ाने के नाम पर पैसा लेना.
नौकरी लगाने के नाम ठगी करना.
सिमकार्ड अपडेट के बहाने ठगी करना.
ऑनलाईन शापिंग में डिस्काउंट के बहाने ठगी को अंजाम देना.
जेवर चमकाने के नाम पर महिलाओं से ठगी करना.
रास्ते में हत्या-लूट होने का डर दिखाकर ठगी करना.
नोटो का बंडल गिराकर ध्यान भटकाना.
फर्जी ई मेल के माध्यम से ठगी करना.
डेबिट-क्रेडिट कार्ड रिचार्ज पाइंट से रिवार्ड का झांसा देकर ठगी करना.
मोबाईल मैसेज सर्विस के माध्यम से ठगी करना.
विदेश भेजने के नाम पर ठगी करना.
मेट्रीमोनियल वेबसाइट के माध्यम से संपर्क करके शादी का झांसा देकर पैसे की वसूली करना.
फर्जी आयकर अधिकारी बनकर ठगी करना.
बीमारी समस्याओं के निराकरण का झांसा देने वाले बाबा.
रास्ते में ऑयल गिराकर ठगी करना.
टीवी में चेहरा पहचानों का विज्ञापन दिखाकर ठगी करना.
मोबाईल टावर लगाने के नाम पर ठगी करना.
ठग से ऐसे बचे
फोन पर किसी को अपना एटीएम कार्ड का नंबर न बताएं.
एटीएम कार्ड की सीवीवी नंबर की जानकारी फोन पर न दें.
फोन पर एटीएम कार्ड के वैलेडिटी की जानकारी न दें.
ओटीपी नंबर किसी से ना शेयर करें.
राशि वापसी के लिए पहले करें यह काम
ऑनलाईन ठगी का शिकार होते ही तत्काल पुलिस को सुचित करें.
बैंक जाकर खाता बंद करायें.
बैंक से आरएस नंबर और पैसा जहां गया है, जानकारी जरूर लें.
बैंक से मिली जानकारी पुलिस को दें.
ठगी की राशि किसी वॉलेट पर होने से वापसी की संभावना अधिक है.
ठगी के बाद पुलिस को सुचित करने व बैंक से जानकारी लेने में जितनी देर होगी, रिकवरी की गुंजाइस उतनी ही कम होगी.