– बिहार की 53.57 फीसदी आबादी तम्बाकू की गिरफ्त में
– झारखंड में 50.01 फीसदी आबादी करती है तम्बाकू सेवन
– बिहार के माउथ कैंसर से मरने वाले 90,000
– झारखंड में कैंसर से हुई मौत की रजिस्ट्री का कोई मैकेनिजम नहीं
राज्य में ऐसी दुकानें मिल जाएंगी जहां सिर्फ तम्बाकू के प्रोडक्ट्स बिकते हों. बिलकुल शराब दुकान की तरह. उस दुकान में सिगरेट, गुटका, खैनी, पान मसाले के साथ खाया जाने वाला जर्दा आदि सामान मिलेगा. इन दुकानों में तम्बाकू के अलावा दूसरा कोई भी प्रोडक्ट्स नहीं बिकेगा. मसलन चिप्स, कोल ड्रिक्स आदि. स्वास्थय विभाग, भारत सरकार के संयुक्त सचिव एके झा ने सभी राज्यों को ऐसा करने का निर्देश पत्र लिख कर दिया है.
निगम से लेना होगा लाइसेंस, बच्चों को नहीं मिलेगा सामान
शराब दुकान के ही तर्ज पर इस दुकान में भी 18 साल से कम बच्चे को किसी भी तरह का सामान नहीं दिया जाएगा. भारत सरकार का कहना है कि ऐसा करने से बच्चों को तम्बाकू का लत लगने से रोका जा सकेगा. राज्य सरकार निगम के द्वारा ऐसे दुकानों के लिए लाइसेंस देगा. जिन्हें भी ऐसी खुदरा दुकान खोलने की दिलचस्पी है, उन्हें अपने शहर के निगम से दुकान खोलने का लाइसेंस लेना होगा. बिना लाइसेंस के अगर कोई दुकानदार तम्बाकू के प्रोड्ट्स बेचते पकड़ा जाता है तो उसपर सख्त कार्रवाई करने का भी निर्देश है.
आधे से ज्यादा बिहार-झारखंड वाले करते हैं तम्बाकू का सेवन
बिहार-झारखंड का आंकड़ा काफी डराने वाला है.
यहां आधी आबादी से ज्यादा लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं. बिहार में 53.57 फीसदी और और झारखंड में 50.01 फीसदी आबादी तम्बाकू का सेवन करती है. सोसियो इकनोमिक एंड एजुकेशन डेवलपमेंट सोसाइटी (सीड्स) के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा का कहना है कि यूं तो तम्बाकू सेवन में नॉर्थ इस्ट के राज्य नंबर वन हैं. लेकिन, बिहार-झारखंड भी पीछे नहीं है. पूरे देश की बात करें तो बिहार का स्थान छठा और झारखंड का स्थान आठवां है. चौंकाने वाली बात यह है कि झारखंड बने 17 साल हो गए, लेकिन अभी तक यहां कैंसर से होने वाली मौत को रजिस्टर करने वाली कोई मैकेनिजम नहीं है. इसलिए झारखंड कैंसर से होने वाली मौत का पता नहीं चल पाता है. लेकिन, जब तम्बाकू सेवन में यह राज्य आठवे स्थान पर है तो जाहिर है कि मौत का आंकड़ा भी काफी भयावह होगा.
भारत में हर साल मरते हैं 12 लाख लोग
सीड्स के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा ने बताया कि भारत में हर साल करीब 12 लाख लोगों की मौत कैंसर से होती है. झारखंड के पड़ोसी बिहार की बात करें तो वहां सलाना 1,20000 मौत कैंसर से होती है. इनमें माउथ कैंसर से होनी वाली मौत 75 फीसदी है. यानि तम्बाकू सेवन से बिहार में होने वाली मौत का आंकड़ा 90,000 सालाना है. उन्होंने बताया कि बिहार तम्बाकू सेवन के मामले में देश में छठे स्थान पर है और झारखंड आठवे स्थान पर इस हिसाब से बिहार और झारखंड के आंकड़े में ज्यादा फर्क नहीं होगा.