केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री विजय सांपला ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने संबंधी विधेयक को सरकार शीतकालीन सत्र में पारित कराने का प्रयास करेगी. मंत्री ने यह भी कहा कि राज्यसभा में इस विधेयक में कांग्रेस की ओर से शामिल कराया गया संशोधन व्यवहारिक नहीं है.
कांग्रेस अड़ंगे लगा रही
हम अगले सत्र में इस विधेयक को लाने और पारित कराने का प्रयास करेंगे. सांपला ने कहा, कांग्रेस ने आधारहीन बातें की हैं. संविधान के मुताबिक चलना पड़ेगा. कल को कहेंगे कि 400 बिरादरी हैं और सबको प्रतिनिधित्व मिले, तो यह कैसे संभव है? कांग्रेस इस विधेयक के रास्ते में अड़ंगे लगा रही है.
लोकसभा में विधेयक पेश होने पर कांग्रेस की ओर से शामिल कराए गए संशोधन को बदला जाएगा तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा, यह संशोधन व्यवहारिक नहीं है. गौरतलब है कि संसद के पिछले सत्र के दौरान राज्यसभा में सरकार के लिए उस वक्त असाधारण स्थिति पैदा हो गई थी जब कांग्रेस की ओर से पेश एक संशोधन पारित हो गया. कांग्रेस का संशोधन था कि ओबीसी आयोग में एक महिला और एक अल्पसंख्यक सदस्य भी हो.
विधेयक के संशोधन पर तकरार बरकरार
अब यह संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया जाएगा लेकिन यह देखना होगा कि सरकार इसे लोकसभा में विपक्ष के संशोधन के साथ ही पास करवाती है या पुराने विधेयक को ही पारित कराकर दोबारा राज्यसभा में लौटाती है.
पिछले सत्र के दौरान इस विधेयक को पेश करते हुए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा था कि इस विधेयक के जरिए देश में पिछड़े वर्गों के हितों की प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की तर्ज पर पिछड़ा वर्ग आयोग को भी संवैधानिक दर्जा दिया जा सकेगा. विधेयक के प्रावधानों के तहत नए आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य शामिल होंगे.