मुजफ्फरनगर के खतौली रेल हादसे को बड़ी लापरवाही का नतीजा माना गया है. इसके लिए 7 रेलवे कर्मचारियों पर गाज गिरी है. सूत्रों के मुताबिक उत्कल एक्सप्रेस के हादसे पर रेलवे की जो इंटरनल इंक्वायरी रिपोर्ट आई है उसमें परमानेंट वे डिपार्टमेंट दोषी ठहराया गया है. यह डिपार्टमेंट रेगुलर चलने वाली ट्रेनों के रूट पर नजर रखता है. उत्तर रेलवे ने हादसे के लिए दोषी मानते हुए तीन कर्मचाटरियों को निलंबित कर दिया है. इनके अलावा कई अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई है. उत्तर रेलवे ने सीनियर डिविजनल इंजीनियर और उनके मातहत काम करने वाले तीन कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है.
इन अधिकारियों पर गिरी गाज
शुरुआती जांच के बाद नॉर्दन रेलवे के जनरल मैनेजर ने जिन कर्मचारियों को सस्पेंड किया है, उनमें दिल्ली डिवीजन के सीनियर डिविजनल रेलवे इंजीनियर आरके वर्मा, दिल्ली डिवीजन मेरठ के असिस्टेंट इंजीनियर रोहित कुमार, मुजफ्फरनगर के सीनियर सेक्शन इंजीनियर इंदरजीत सिंह और खतौली के जूनियर इंजीनियर प्रदीप कुमार शामिल हैं. इनके अलावा उत्तर रेलवे के चीफ ट्रैक इंजीनियर का ट्रांसफर कर दिया गया है. डीआरएम दिल्ली और जीएम उत्तर रेलवे को छुट्टी पर भेज दिया गया है. इसी तरह रेलवे बोर्ड के सदस्य, इंजीनियरिंग को भी छुट्टी पर भेज दिया गया है.
सुरक्षा के जरूरी उपाय नहीं किये गये थे
रेलवे की टीम ने तमाम तथ्यों पर विचार करने के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मेंटेनेंस का काम चल रहा था और प्रथम दृष्टया यह सही है कि जरूरी सुरक्षा उपाय नहीं किए गए थे. इसके लिए ट्रैफिक ब्लॉक नहीं लिया गया था और इमरजेंसी प्रॉसीजर के तहत काम किया जा रहा था, जिसके लिए 12 सौ मीटर की दूरी पर रेड फ्लैग लगाया जाना जरूरी है. यह फ्लैग काम वाली जगह से दोनों तरफ लगाया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. टीम ने रिपोर्ट में बताया है कि मेंटनेस का काम चल रहा था, जिसकी वजह से पटरी को हेक्सा ब्लेड से काटा गया था. इसकी वजह से नट बोल्ट और फिश प्लेट पटरी से हटी हुई थी. गैप होने की वजह से फिश प्लेट और नट बोल्ट नही लगा पाया गया, जिसकी वजह से 13 डिब्बों के पटरी से उतरने से इतना बड़ा हादसा हो गया.