मायावती ने आरोप लगाया, ‘‘ जातीय संघर्ष भड़काया गया ताकि मायावती आए और भाषण दे. मेरे रहते खूनी संघर्ष हो जाए और दलितों के साथ-साथ मेरी भी हत्या कर दी जाए.’’ उन्होंने कहा कि इस तरह बसपा को ‘‘दफन करने की साजिश रची गयी’’ थी.
जान-बूझकर कराए गए दंगे
उन्होंने कहा कि ईवीएम को लेकर हमारे आरोपों से लोगों का ध्यान हटाने और सियासी फायदे के लिए सहारनपुर में जातीय दंगे कराये गये.
बसपा प्रमुख कल यहां पार्टी के तीन मंडलों के महासम्मेलन को संबोधित कर रही थीं. इसमें 71 विधानसभा क्षेत्रों के कार्यकर्ता और समर्थक मौजूद थे.
मायावती ने आरोप लगाया कि लोकसभा और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ईवीएम मशीन में गड़बड़ी करके चुनाव जीता है. बसपा कार्यकर्ताओं ने इसके खिलाफ उत्तर प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर 11 अप्रैल को धरना प्रदर्शन भी किया था. ईवीएम गड़बड़ी को लेकर हम उच्चतम न्यायालय गए, तो भाजपा ने इससे ध्यान हटाने के लिए एक सोची समझी साजिश के तहत सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में दंगा करा दिया.
सत्ता पक्ष ने बोलने नहीं दिया
मायावती ने दावा किया, ‘‘सहारनपुर में दलितों का शोषण हुआ. 18 जुलाई को राज्यसभा में उन्हें इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष ने बोलने नहीं दिया. इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ है. यही वजह है कि मैंने राज्यसभा सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया.’’
उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर को भी दलितों और आदिवासियों के हक में कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. मायावती ने आरोप लगाया कि पदोन्नति में आरक्षण का मामला अभी तक लटका हुआ है. इसी तरह निजी क्षेत्र में आरक्षण देने का मामला भी लंबित है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘दलित वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए भाजपा ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया.’’ उन्होंने दावा किया कि बसपा के दवाब के चलते कांग्रेस को दलित व्यक्ति को प्रत्याशी उतारना पड़ा.
कर्जमाफी का ढोंग
मायावती ने कहा कि चुनावों के वक्त भाजपा ने वादा किया था सरकार बनने के बाद किसानों का सभी कर्ज माफ किया जाएगा. सरकार बनने के बाद योगी ने कहा, ‘‘एक लाख का कर्ज माफ करेंगे लेकिन इसके बाद सरकार ने किसानों का एक रुपया या दो रुपया माफ किया. यह किसानों के साथ धोखा नहीं तो क्या हैं?’’