प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के आलोचकों को जवाब देते हुए कहा है कि यह उनके मन की बात नहीं है बल्कि भारत की सकारात्मक शक्ति, देश के कोने-कोने से लोगों की भावनाओं, इच्छाओं, शिकायतों को सामने रखने का एक मंच है, जो प्रेरणा देने के साथ ही सरकार में सुधार का वाहक बन रहा है. आकाशवाणी पर प्रसारित मन की बात कार्यक्रम के 36वें अध्याय में अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि मन की बात ने उन्हें भारत की सकारात्मक शक्तियों, देशवासियों की भावनाएं, उनकी इच्छाएं, अपेक्षाएं और शिकायतों से जुड़ने का मौका दिया है.
मेरे मन की नहीं देशवासियों के मन की बात
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने कभी ये नहीं कहा है कि मेरे मन की बात है. ये ‘मन की बात’ देशवासियों के मन से जुड़ी हैं, उनके भाव से जुड़ी हैं, उनकी आशा-अपेक्षाओं से जुड़ी हुई हैं और जब ‘मन की बात’ में बातें मैं बताता हूं तो उसे देश के हर कोने से जो लोग मुझे अपनी बातें भेजते हैं, आपको तो शायद मैं बहुत कम कह पाता हूं, लेकिन मुझे तो भरपूर खज़ाना मिल जाता है’’ उन्होंने कहा कि मैं ज़रूर मानता हूं, अब तीन साल के बाद सामाजिक क्षेत्र के विशेषज्ञ, विश्वविद्यालय, शोध अध्येता, मीडिया विशेषज्ञ ज़रूर इसका विश्लेषण करेंगे. इसके मजबूत पक्ष और कमियों को हर चीज़ को उजागर करेंगे और मुझे विश्वास है कि ये विचार-विमर्श भविष्य ‘मन की बात’ के लिए भी अधिक उपयोगी होगा, उसमें एक नयी चेतना, नयी ऊर्जा मिलेगी.
मन की बात में उठे कई अहम विषय
करीब 30 मिनट के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने पिछले तीन वर्षो के दौरान इन कार्यक्रम पर उठाये गए अनेक विषयों का जिक्र किया, साथ ही स्वच्छता अभियान, विविधता में एकता के महत्व, इंक्रेडिबल इंडिया, देश में आयोजित होने वाले फीफा अंडर 17 विश्व कप टुर्नामेंट जैसे विषयों का जिक्र किया.
वीरांगनाओं की पीएम ने की सराहना
प्रधानमंत्री ने दो शहीद सैन्यकर्मियों की विधवा के सेना में शामिल होने की सराहना की और कहा कि लेफ्टिनेंट स्वाति और निधि के रूप में दो वीरांगनाएं मिली हैं और वे असामान्य वीरांगनाएं हैं. असामान्य इसलिए हैं कि स्वाति और निधि के पति मां-भारती की सेवा करते-करते पति शहीद हो गए थे. प्रधानमंत्री ने बिलाल डार को श्रीनगर में स्वच्छता राजदूत बनाये जाने का भी जिक्र किया.
अधिकतर बातें प्रेरणा देने वाली होती हैं
‘मन की बात’ कार्यक्रम का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि चाहे ई मेल पर हो, टेलीफोन पर हो. नरेन्द्र मोदी एप पर हो, इतनी बातें मेरे पास पहुंचती हैं. ‘‘ अधिकतर तो मुझे प्रेरणा देने वाली होती हैं. बहुत सारी, सरकार में सुधार के लिए होती हैं. कहीं व्यक्तिगत शिकायत भी होती हैं तो कहीं सामूहिक समस्या पर ध्यान आकर्षित किया जाता है और मैं तो महीने में एक बार आधा घंटा आपका लेता हूं, लेकिन लोग, तीसों दिन ‘मन की बात’ पर अपनी बातें पहुंचाते हैं.’’ प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘ उसका परिणाम ये आया है कि सरकार में भी संवेदनशीलता, समाज के दूर-सुदूर कैसी-कैसी शक्तियां पड़ी हैं, उस पर उसका ध्यान जाना, ये सहज अनुभव आ रहा है और इसलिए ‘मन की बात’ की तीन साल की ये यात्रा देशवासियों की, भावनाओं की, अनुभूति की एक यात्रा है.
सामान्य मानव के भावों को जानने-समझने का मिला मौका
पीएम ने कहा कि शायद इतने कम समय में देश के सामान्य मानव के भावों को जानने-समझने का जो मुझे अवसर मिला है और इसके लिए मैं देशवासियों का बहुत आभारी हूँ. ’’ उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’ में मैंने हमेशा आचार्य विनोबा भावे की उस बात को याद रखा है. आचार्य विनोबा भावे हमेशा कहते थे अ-सरकारी, असरकारी. मैंने भी ‘मन की बात’ को, इस देश के जन को केंद्र में रखने का प्रयास किया है. राजनीति के रंग से उसको दूर रखा है. तत्कालीन, जो गर्मी होती है, आक्रोश होता है, उसमें भी बह जाने के बजाय, एक स्थिर मन से, आपके साथ जुड़े रहने का प्रयास किया है. गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी समेत कई विपक्षी दल और विपक्षी नेता प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम की आलोचना करते रहे हैं और सरकार पर तंज कसते हुए काम की बात करने पर जोर दिया है.