1965 के हीरो मार्शल अर्जन सिंह को दी जा रही अंतिम विदाई
भारतीय वायु सेना के दिवंगत मार्शल अर्जन सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जा रहा है. रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण के साथ-साथ सभी सेना अध्यक्षों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने भी बरार स्क्वायर में पहुंकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है.
झुके रहेंगे आज राष्ट्रीय ध्वज
इससे पहले गृह मंत्रालय बताय था कि अर्जन सिंह के सम्मान में सोमवार को सभी सरकारी इमारतों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया जाएगा. उनका 98 वर्ष की उम्र में शनिवार को सेना के रिचर्स एंड रेफरल अस्पताल में निधन हो गया था.
1965 के युद्ध के हीरो
अर्जन सिंह देश के वे योद्धा थे जिन्हें पाकिस्तान को घुटनों पर लाने के लिए जाना जाता है. उन्हें 1965 के युद्ध का हीरो माना जाता है, जब भारतीय वायु सेना अग्रिम मोर्चे पर थी तब वे उसके प्रमुख थे।वह इकलौते वायु सेना अधिकारी थे जिन्हें फाइव स्टार रैंक दी गई थी.
तोप, गन सैल्यूट और फ्लाई पास्ट से दी जायगी सलामी
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि अर्जन सिंह की शव यात्रा सोमवार को सेना की तोप गाड़ी के जरिए उनके आवास से अंतिम संस्कार स्थल तक जाएगी. सिंह के सम्मान में अंतिम संस्कार से पहले गन सैल्यूट और फ्लाई पास्ट का भी आयोजन होगा.
1965 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था
अर्जन सिंह को 44 वर्ष की उम्र में ही भारतीय वायु सेना के नेतृत्व की जिम्मेदारी दे दी गई थी, जिन्हें उन्होंने बखूबी निभाया भी था. उन्हें वर्ष 1965 में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.
वायु सेना को सशक्त बनाने में निभाई थी अहम भूमिका
दिवंगत मार्शल अर्जन सिंह ने भारतीय वायु सेना को दुनिया की सबसे शक्तिशाली वायु सेनाओं में से एक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. भारतीय वायु सेना को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना बनाने में भी उनका अहम योगदान था.
कम बोलने वाले शख्स के तौर पर थी पहचान
अलग-अलग तरह के 60 से भी ज्यादा विमान उड़ाने वाले सिंह की पहचान बहुत कम बोलने वाले शख्स के तौर पर भी थी. सिंह न केवल निडर फाइटर पायलट थे वरन उनको हवाई शक्ति के बारे में भी गहरी जानकारी थी. इस ज्ञान का वह हवाई अभियानों में खूब इस्तेमाल करते थे.