देश के पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा के यशवंत सिन्हा ने इंडियन एक्सप्रेस में आलेख लिखकर अर्थव्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
उन्होंने लिखा है- मोदी जी कहते हैं कि मैंने गरीबी काफी नजदीक से देखी है. अब उनके वित्तमंत्री अरूण जेटली हर भारतीय नागरिक को बेहद नजदीक से गरीबी का अहसास करा देंगे.
आलेख के अनुसार देश का असली विकास दर मात्र 3.7 प्रतिशत ही है। मोदी सरकार ने आंकड़े में हेरफेर करके इसे 5.7 दिखाया है.
यशवंत सिन्हा ने लिखा है कि उन्हें अब सच बोलना जरूरी लगा. देश की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से गिर रही है. इंस्पेक्टर राज, नोटबंदी तथा जीएसटी की वजह से करोड़ों नौकरियां गईं तथा देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गयी. उन्होंने कहा कि जीडीपी को तय करने के पुराने तरीके को भी मोदी सरकार ने बदल दिया, जिसकी वजह से विकास दर 5.7 दिख रहा है, वरना देश का असली विकास दर 3.7 और उससे कम है. उनका कहना है भाजपा में भी कई लोग इस सच को जानते हैं पर भय से कोई बोल नहीं रहा.
यशवंत सिन्हा ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर भी निशाना साधते हुए लिखा कि वह कहते हैं कि अर्थव्यवस्था में गिरावट का तकनीकी कारण है, जबकि स्टेट बैंक ने भी कहा है कि यह महज तकनीकी मामला नहीं है.
आलेख के अनुसार भाजपा पहले इंस्पेक्टर राज का विरोध करती थी. लेकिन अब जीएसटी, आयकर, प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई के कारण व्यवसायी डरे हुए हैं.
इस आलेख में यशवंत सिन्हा ने अरुण जेटली पर काफी व्यंग्य किया. अमृतसर लोकसभा सीट हारने के बावजूद उन्हें मंत्री बनाने के लिए मोदी पर सवाल उठाया है. यशवंत लिखते हैं- सरकार कह रही है कि अर्थव्यवस्था की बर्बादी के लिए नोटबन्दी जिम्मेवार नहीं. सरकार ठीक कह रही है. यह बर्बादी तो अरुण जेटली पहले ही शुरू कर चुके थे. नोटबन्दी ने तो सिर्फ आग में घी डाला है.
यशवंत सिन्हा ने देश में उद्योग और व्यवसाय में तेजी से गिरावट, कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री की बर्बादी और कृषि के खस्ताहाल पर भी चिंता जताई. किसानों को एक पैसे या महज कुछ रुपयों के कर्जमाफी पर भी व्यंग्य किया. उन्होंने लिखा है कि आगामी लोकसभा चुनाव तक देश की आर्थिक हालत के सुधरने की कोई उम्मीद नहीं है.
इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर क्या है? प्राइवेट इन्वेस्टमेंट काफी कम हो गया है, जो दो दशकों में नहीं हुआ. औद्योगिक उत्पादन ध्वस्त हो गया, कृषि संकट में है, निर्माण उद्योग जो ज्यादा लोगों को रोजगार देता है उसमें भी सुस्ती छायी हुई है. सर्विस सेक्टर की रफ्तार भी काफी मंद है. निर्यात भी काफी घट गया है. अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्र संकट के दौर से गुजर रहे हैं. नोटबंदी एक बड़ी आर्थिक आपदा साबित हुई है। ठीक तरीके से सोची न गई और घटिया तरीके से लागू करने के कारण जीएसटी ने कारोबार जगत में उथल-पुथल मचा दी है. कुछ तो डूब गए और लाखों की तादाद में लोगों की नौकरियां चली गईं। नौकरियों के नए अवसर भी नहीं बन रहे हैं. एक के बाद दूसरे क्वॉर्टर में अर्थव्यवस्था की विकास दर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है.
उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री चिंतित हैं. वित्त मंत्री ने विकास को रफ्तार देने के लिए वित्त मंत्री ने पैकेज देने का वादा किया है. हम सभी बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. नई चीज इतनी हुई है कि प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार को पुनर्गठन हुआ है. जैसे कि वे पांच पांडवों से हमारे लिए नई महाभारत को जीतने की उम्मीद लगाएं हैं.