पश्चिम बंगाल से चोरी का कोयला धनबाद के हार्डकोक, सॉफ्ट कोक भट्ठों और कोयला डिपो में खपाया जा रहा है. बंगाल के कोयला तस्करों का गिरोह धनबाद में पुलिस अधिकारियों व सफेदपोश लोगों की मिलीभगत से तीन-चार माह से जोर-शोर से धंधा चला रहा है. जानकारों की माने, तो बंगाल से प्रतिदिन करीब 4000 टन कोयला धनबाद पहुंच रहा है. अवैध कारोबारी क्षेत्र में यह प्रचारित किये हुए हैं कि धनबाद से रांची तक सेटिंग कर धंधा चलाया जा रहा है, जिसके कारण क्षेत्र में कोई रोकने वाला नहीं है.
आधी रात के बाद आते हैं ट्रक : सूत्रों के मुताबिक पश्चिम बंगाल के वर्धमान व आसनसोल से आधी रात के बाद 12 चक्का वाले ट्रक बराकर पुल पार कर जीटी रोड से धनबाद पहुंच रहे हैं. एक ट्रक पर 30-35 टन कोयला लोड रहता है. एक साथ बंगाल से कोयला लदे 15-20 ट्रकों का काफिला धनबाद सीमा में प्रवेश करता है. कोयला लदे ट्रकों को तस्करों का गिरोह फार्चूनर व इनोवा से स्कॉट कर धनबाद की सीमा में प्रवेश कराता है. मैथन से लेकर बरवाअड्डा ही नहीं, धनबाद जिले के कुछ अन्य थानों को भी बंगाल के ट्रकों की पासिंग दर मिल रही है. ट्रक चालकों के पास डिस्को पेपर रहता है. डिस्को पेपर दिखाने पर जीटी रोड केे थानों में ट्रकों की जांच नहीं होती है. बताते हैं कि मैथन मोड़ से संजय चौक मैथन जाने वाले रास्ते में एक गोदाम में बंगाल से लाया कोयला जमा किया जाता है और पुनः फर्जी कागजात द्वारा उसे निरसा, गोविंदपुर, बरवाअड्डा आदि थाना क्षेत्रों के भट्ठों व डिपो में कोयला खपाया जाता है. कुछ जगहों पर कोयला सीधे बंगाल से लाकर भी उद्योगों में गिराया जाता है. किसी भी उद्योग, भट्ठा, डिपो में ट्रक से कोयला गिरने के कारण अमूमन लगता है कि कोलियरी से लाकर कोयला गिराया जा रहा है.
ऐसे हो जाता है दो नंबर का कोयला एक नंबर : बंगाल से आने वाले कोयला लदे ट्रकों का जीटी रोड के कांटा में वजन होता है. कांटा में वजन के बाद कोयला जीटी रोड के दर्जन भट्ठों में गिरता है. बरवाअड्डा, गोविंदपुर के आमघाटा व राजगंज तक चिमनी भट्ठा व डिपो में बंगाल का कोयला पहुंच रहा है. बंगाल में कोयला के अवैध कारोबार को सत्ताधारी दल के नेताओं का समर्थन मिला हुआ है. भट्ठा व डिपो संचालक कोलियरी से खरीदे गये कोयला के कागजात रखते हैं. धनबाद, बोकारो व रामगढ़ जिले की बीसीसीएल, सीसीएल व इसीएल की कोलियरी से तैयार डीओ पेपर के सहारे बंगाल का दो नंबर का कोयला धनबाद के भट्ठों व डिपो में गिरते ही एक नंबर हो जाता है. बंगाल के तस्करों को धनबाद की पुलिस की नहीं अवैध कोल कारोबार में चर्चित लोगों का सहयोग मिल रहा है.
बंगाल का राखा-तिवारी सिंडिकेट
बंगाल के कुख्यात कोयला तस्करों का सिंडिकेट ही कोयला की आपूर्ति करता है. इस सिंडिकेट के संचालक ए राखा, जे तिवारी, जी सिंह व जे राय हैं. इस सिंडिकेट से निरसा के कुछ लोग भी जुड़ गये हैं. यह सिंडिकेट पूर्व में भी धनबाद में कारोबार करता रहा है. कुछ वर्ष पहले राखा व तिवारी गिरोह ने धनबाद से अपना कारोबार समेट लिया था. धनबाद के कारोबारियों से गिरोह की दुश्मनी हो गयी थी. धनबाद ही नहीं राखा गिरोह की सेटिंग रांची के आइपीएस अफसरों तक है. कुछ वरीय पुलिस अधिकारियों का पूर्व में भी कोयला से प्रेम रहा है. इन अधिकारियों की कोयलांचल ही नहीं, झारखंड के अन्य जिलों में भी पुरानी पकड़ है. ‘मनोज’ नामक कोयला कारोबारी वरीय पुलिस अधिकारी के लिए रकम वसूलता है. पूर्व में हजारीबाग व रामगढ़ क्षेत्र में सक्रिय रहा ‘मनोज’ वर्तमान में बंगाल से धनबाद तक सीधे जुड़ा हुआ है. ‘मनोज’ का धनबाद के ‘राय ग्रुप’ से भी बेहतर संबंध है. बंगाल के तस्कर राखा द्वारा सिंडिकेट में ‘राय ग्रुप’ को जोड़ लिया गया है.
फर्जी जीएसटी कागजात का इस्तेमाल
सिंडिकेट द्वारा फर्जी जीएसटी का कागजात तैयार किया जाता है और अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकने के लिए उस फर्जी जीएसटी कागजात का इस्तेमाल किया जाता है. अवैध कोयला कारोबारी द्वारा किस तरह फर्जी कागजात दिया जा रहा है, उसका एक नमूना प्रभात खबर को मिला है. कागजात में जो जीएसटीएन का नंबर दर्शाया गया है, उसकी जांच-पड़ताल करने पर पाया गया कि वह फर्जी है. कागजात मेसर्स भोलानाथ ट्रेडर्स मुगमा, पीओ मुगमा, पीएस निरसा जिला धनबाद के नाम से है. दिये गये टैक्स इनवॉइस पर जीएसटी नंबर 20DMZPC6258S1ZC अंकित है. जब इस नंबर की जांच की गयी, तो यह फर्जी पाया गया. इस पर सीकेआरएल का चमकीला स्टीकर लगा हुआ है. टैक्स इनवॉइस के साथ एक कांटा स्लीप है, जो गोविंदपुर क्षेत्र के एक कोक प्लांट का है. दोनों कागजात टैक्स इनवॉइस व कांटा स्लीप पर एक ही ट्रक का नंबर अंकित है. इससे स्पष्ट होता है कि बंगाल से फर्जी कागजात के सहारे निरसा, गोविंदपुर, बरवाअड्डा के विभिन्न क्षेत्रों में कोयला खपाया जाता है.