भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मोहलबनी घाट पर गौरखूंटी निवासी शंकर रवानी के पुत्र कुणाल रवानी का अंतिम संस्कार किया गया. मुखाग्नि शंकर रवानी ने दी.
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भारी सुरक्षा के बीच तीन दिनों के बाद भौंरा पहुंची कुणाल की लाश-
धनबाद
चार दिन पूर्व मनसा पूजा की रात कुणाल ने रेनबो ग्रुप के संस्थापक धीरेन रवानी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. उसी हादसे में भीड़ ने कुणाल को पीट-पीट कर मार डाला था. सोमवार की रात धनबाद कारा मंडल से पेरोल पर छूटने के बाद शंकर रवानी ने पीएमसीएच में जाकर अपने पुत्र मृतक कुणाल रवानी का शव लेकर रात साढ़े नौ बजे भौंरा गौरखूंटी स्थित घर पहुंचे.
सुलहनामा का प्रयास किया था
शव को घर के अंदर रखने के बाद मृतक की मां बालिका देवी ने रोते हुए कहा कि दो वर्षों से मैं बेटा और पति को बचाने के लिए दौड़ती रही हूं. धीरेन रवानी से सुलहनामा के लिए प्रयास किया. लेकिन कुछ लोगों के कारण धीरेन रवानी ने सुलहनामा नहीं किया.
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अंतिम संस्कार के समय मोहलबनी घाट पर कुणाल का मामा डीएन सिंधु, अशोक रवानी, विनोद रवानी, मां बालिका देवी, मौसी रेखा देवी, वंदना देवी, नानी श्यामल रवानी, हरेंद्र यादव आदि थे. गौरखूंटी में मृतक कुणाल का शव जब पहुंचा तो आसपास के लोग अपने घरों की छत पर खड़ा होकर शव को देख रहे थे. पुलिस कस्टडी में शंकर रवानी थे. पूरा गौरखूंटी पुलिस छावनी में तब्दील था.
जितने मुकदमा हुआ है उसमें विष्णु रवानी का हाथ
वहीं मृतक कुणाल के पिता शंकर रवानी ने कहा कि रेनबो ग्रुप के कुछ डायरेक्टरों के साजिश के तहत ये दोनों हत्याएं हुई है. यह सुनियोजित व गहरी साजिश है. दोनों हत्याओं से सबसे ज्यादा नुकसान मुझे व धीरेन के पिता गुरूदयाल रवानी के परिवार को हुआ है. धीरेन रवानी मेरा चचेरा भाई था और कुणाल मेरा प्यारा पुत्र था. धीरेन रवानी को आगे बढ़ाने में मेरा काफी योगदान रहा है. मेरा बेटा कुणाल धीरेन रवानी को चाचा कहकर बहुत सम्मान करता था. बैंक मोड़ थाना कांड संख्या 531/2005 के तहत धीरेन रवानी पहली बार जेल गये. तीन वर्ष की सजा हुई. मैंने ही बेल देकर उनको जेल से बाहर निकाला था. पुन: पैसे की मदद कर बिजिनेस शुरू कराया. धीरेन रवानी ने अपनी कुशलता से नेटवर्किंग का काम शुरू किया. मात्र एक वर्ष में उनसे अपना सम्राज्य स्थापित कर लिया. हर सेमिनार में वह मुझे बड़े भाई की हैसियत से बुलाता था. धीरेन रवानी व वरूण रवानी को मैंने नेटवर्किंग का काम करने के लिए छोड़कर खुद राजनीतिक में आ गया. 23 अगस्त 2014 को बैंक मोड़ थाना कांड संख्या 350/14 के तहत धीरेन रवानी जेल भेजे गये. उसके बाद रेनबो ग्रुप सोसाइटी के अध्यक्ष पद के लिए होड़ लग गयी. पर कई दावेदार भी थे. लेकिन धीरेन रवानी ने एमएससीएस एक्ट 2002 के प्रावधान के तहत रेनबो सोसाइटी का अध्यक्ष वरूण रवानी को मनोनीत किया. उसके बाद रेनबो ग्रुप के अन्य निदेशकों में नाराजगी फैल गयी. तब रेनबों पर वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गयी. धीरेन व कुणाल की हत्या इन्हीं कारणों से हुई. उन्होंने और लोगों पर भी कई आरोप लगाये. कहाकि मेरे व धीरेन रवानी के बीच जितने भी मुकदमे हुए है, उसमें निदेशक विष्णु रवानी का हाथ है. एक साइकिल के लिए मुंहताज रहने वाला विष्णु रवानी आज करोड़ों रुपये की संपत्ति का मालिक है. आखिर ये रूपये कहा से आये ? रेनबों के दर्जनों निदेशकों ने धनबाद , रांची, गया, आदि स्थानों पर करोड़ों के प्लैट और लाखों की गाड़ियां खरीद रखी है. ये संपत्तियां कहां से आयी ?
शंकर रवानी ने कहा –
वरुण ने रेनबो के करोड़ों रुपये के लिए धीरेन की करायी हत्या
मैने अपना भाई व पुत्र दोनों खो दिया, इसकी गहरी चोट : शंकर
भाई धीरेन रवानी व मेरे पुत्र कुणाल रवानी की हत्या सुनियोजित साजिश के तहत की गयी है. दोनों की हत्या मेरे लिए अपूरणीय क्षति है. यह मेरे जीवन के लिए सबसे दुखद व संताप की घड़ी है. इसके पीछे धीरेन का भाई वरुण रवानी का हाथ है. वरुण की नजर रेनबो के करोड़ों-अरबों की संपत्ति पर थी. यह कहना है कि कुणाल के पिता शंकर रवानी का.पीएमसीएच में पत्रकारों से कहा कि वरुण रेनबो में चीफ डायरेक्टर मनोनयन से बने थे. जबकि नियमानुसार सोसाइटी के नाते बोर्ड से सहमति जरूरी थी. इसे लेकर रेनबों में अंदर ही विवाद हो रहा था. वरुण के कार्यकाल में ही करोड़ों का घपला हुआ. सोसाइटी जमीन नहीं खरीद सकती है, लेकिन नियमों का दरकिनार करते हुए जमीन में पैसा लगाया गया. वरुण ने ही महत्वाकांक्षी के तहत अपने भाई की हत्या करवायी है.
दुख में धीरेन व मैं हमेशा साथ रहे
शंकर रवानी ने बताया कि यह सत्य है कि धीरेन पर जब भी मुसीबत आयी, उसको सहयोग किया. आगे बढ़ाया. धीरेन व मेरे (शंकर रवानी) के बीच वरुण व एक नेता कभी मेल-मिलाप नहीं होने देना चाहते थे. जब धीरेन के घर में दुख आता था, कई माह तक उसका घर चलाया था. मेरे परिवार पर दुख आने से धीरेन मेरा घर कई माह तक चलाया था. धीरेन चाहता था कि कुणाल भी रेनबो में काम करें, मैंने धीरेन से कहा था कि उसका ही बेटा है, जो उचित है, वह करें. लेकिन वरुण व विष्णु को यह खटकता था.
धीरेन की तरक्की से नाखुश थे वरुण
शंकर रवानी ने कहा कि धीरेन की तरक्की से नाखुश वरुण रवानी ने कुछ पार्टनर के साथ पारिवारिक प्रतिस्पर्धा में एक कंपनी खोलकर नेटवर्किंग का काम शुरू कर दिया था. इस पर धीरेन ने मुझे वरुण को समझाने को कहा था. मेरे समझाने पर वरुण भी धीरेन के साथ मिलकर काम करने लगा था. जबकि मैं राजनीति में सक्रिय रहा.
कहा कि कुणाल कॉमर्स का अच्छा स्टूडेंट्स था. ऐसे में मात्र एक गोली से धीरेन रवानी की हत्या कर देना किसी शूटर का ही हाथ हो सकता है. वरुण व विष्णु रवानी ने साजिश के तहत बैंक मोड़ थाना में कांड संख्या 115/17 के तहत मुझे, मेरी पत्नी, कुणाल को आरोपित बनाया था. धीरेन की हत्या में की गयी एफआइआर में उलझने की बात झूठ है.
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