पाकिस्तान की सेना से देश के लोकतंत्र को कोई ‘‘खतरा नहीं’’ है. यह बात आज सेना के एक शीर्ष जनरल ने कही और नेताओं को उन्होंने चेतावनी दी कि अगर लोगों की भावनाओं का ख्याल नहीं रखा गया तो लोकतांत्रिक संस्थानों को खतरा हो सकता है.
अर्थव्यवस्था और सुरक्षा एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं: कमर जावेद बाजवा
सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने अर्थव्यवस्था पर सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की टिप्पणी का बचाव करते हुए कहा, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. गफूर ने कहा, पाकिस्तान की सेना से लोकतंत्र को कोई खतरा नहीं है लेकिन अगर इसकी (लोकतंत्र) जरूरतों को पूरा नहीं किया गया, तो लोकतंत्र को खतरा हो सकता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में नागरिक शासन की प्रधानता रही है और सेना प्रमुख की नियुक्ति से लेकर सैन्य अभियान तक हर फैसला सरकार प्रमुख तय करते हैं और लागू करते हैं.
पाकिस्तान की सेना को आर्थिक मुद्दों पर बयान देने से बचना चाहिए: अहसन इकबाल
पिछले कुछ समय से सेना और नागिरक सरकार के मध्य असहज होती स्थितियों के बीच उन्होंने कहा, नागरिक शासन प्रधान है जो सेना प्रमुख और नौसेना प्रमुख की नियुक्ति करता है. सभी अभियानों को नागरिक सरकार द्वारा मंजूरी दी जाती है. सभी सरकारी संस्थान कानून के मुताबिक काम करते हैं और अंतिम निर्णय सरकार के प्रमुख करते हैं. एक दिन पहले पाकिस्तान के गृह मंत्री अहसन इकबाल ने कहा था कि पाकिस्तान की सेना को आर्थिक मुद्दों पर बयान देने से बचना चाहिए क्योंकि गैर जिम्मेदाराना’’ बयानों से देश की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंच सकता है.
आर्थिक स्थिरता पाकिस्तान की सुरक्षा से गहरा संबंध रखती है: सेना प्रमुख
इकबाल के बयान से एक दिन पहले गफूर ने एक निजी समाचार चैनल से कहा था, ‘‘अगर अर्थव्यवस्था खराब नहीं है तो यह अच्छी भी नहीं है.’’ पाकिस्तान की सेना देश के नीति निर्णयों में महत्वपूर्ण प्रभाव रखती है और 70 वर्ष के स्वतंत्रता काल में ज्यादातर समय इसने देश पर शासन किया है. इससे पहले सेना प्रमुख ने कहा था कि आर्थिक स्थिरता पाकिस्तान की सुरक्षा से गहरा संबंध रखती है.