जीएसटी का बिल लेंगे तो लगेगा अधिक पैसा
धनबाद. एक जुलाई से गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी)लागू है. जीएसटी से सामान की कीमतें घटेगी, यह दावा सरकार ने किया था. लेकिन सामान की कीमत तो नहीं घट रही है बल्कि दुकानदार जीएसटी के नाम पर लोगों से अधिक पैसे वसूल कर रहे हैं. बिल मांगने पर ग्राहकों से अतिरिक्त पैसा मांग रहे हैं. धनबाद के प्राय: मार्केट में यह खेल चल रहा है. ऐसी बात नहीं कि वाणिज्यकर विभाग को इसकी जानकारी नहीं है. पिछले दिनों वाणिज्यकर विभाग ने भी 1050 प्रतिष्ठानों का सर्वे किया था. इनमें 259 प्रतिष्ठानों में टैक्स इनवॉइस नहीं काटे जाने का मामला पकड़ा था.
क्या है प्रावधान
किसी भी टैक्सेबल आइटम की खरीद पर दुकानदार को बिल देना है. जीएसटी में रजिस्टर्ड दुकानदार टैक्स इनवॉइस देंगे. जबकि अन रजिस्टर्ड दुकानदार बिल ऑफ सप्लाइ देंगे. बिना बिल का सामान लेना व देना दोनों जुर्म है. इस पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है.
पुराना बाजार के प्रतिष्ठित दुकानदार ने बिल के बदले मांगा पैसा
बिल के नाम पर अतिरिक्त पैसा लेने का खेल धड़ल्ले से चल रहा है. कई प्रतिष्ठित दुकानदार तो बिल काटते ही नहीं है. अगर ग्राहक बिल मांगते हैं तो दुकानदार कहता है कि और पैसे लगेंगे. पिछले दिनों मनईटांड़ के सिन्हा परिवार ने पुराना बाजार के एक प्रतिष्ठित दुकान से पांच हजार का रेडिमेड कपड़ा खरीदा. उस परिवार ने दुकानदार से जीएसटी का बिल मांगा तो दुकानदार ने कहा कि बिल देंगे तो ढ़ाई सौ रुपया अधिक लेंगे. हालांकि उस परिवार ने बिल नहीं दिया और कच्चे में माल की खरीद कर ली.
एक्सपर्ट व्यू
जो व्यापारी रजिस्टर्ड हैं, उन्हें टैक्स इन्वाइस काटना अनिवार्य है. ग्राहक से टैक्स लेना है और सरकार को टैक्स देना है. बिना टैक्स लिए दुकानदार किसी ग्राहक को माल बेचता है तो वह अपराध की श्रेणी में आयेगा. सरकार एेसे दुकानदारों पर ठोस कार्रवाई कर सकती है. वैसे व्यवसायी जो सालाना 20 लाख से कम का कारोबार करते हैं, उन्हें पहले जैसे बिल देते थे, वैसे ही बिल देना है.
अनिल मुकीम, चार्टर्ड एकाउंटेंट
मार्केट का सर्वे कराया जा रहा है. सर्वे के दौरान 259 प्रतिष्ठित दुकानों में बिल नहीं काटे जाने का मामला सामने आया है. ऐसे दुकानदारों की सूची तैयार की जा रही है. विभाग की ओर से कारणपृच्छा नोटिस भी जारी किया जा रहा है. अगले चरण में ठोस कार्रवाई होगी.
वीके दुबे, वाणिज्यकर संयुक्त आयुक्त