पर्यावरण अभियंत्रण पर आयोजित नेशनल कन्वेंशन का समापन, बोले डीजीएमएस के पूर्व महानिदेशक रवींद्र शर्मा
— खनन में पुरानी तकनीकी का इस्तेमाल पर्यावरण के विरुद्ध
— नयी तकनीक के ईजाद पर दिया जोर
— पांच तकनीकी सत्रों में 43 रिसर्च पेपर किये गये प्रस्तुत
धनबाद. सेमिनार में एयर एंड वाटर पॉल्यूशन मैनेजमेंट, सोसियो टेक्नो इन्वायर्नमेंट, माइनिंग इन्वायर्नमेंट, मॉडलिंग और लैंड एंड वेस्ट मैनेजमेंट पर चर्चा की गयी. समापन सत्र के मुख्य अतिथि सह खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) के पूर्व महानिदेशक रवींद्र शर्मा ने कहा कि कम खर्च पर उत्पादन को बढ़ाने के लिए जो खनन की पुरानी तकनीक अपनायी जा रही है, वह जनहित और पर्यावरण के नियम के विरुद्ध है. देश के विकास में खनन उद्योग की भूमिका अहम है, लेकिन खनन के जिस तरीके का इस्तेमाल हो रहा है, उसका दुष्प्रभाव मानव के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है. उन्होंने खनन की नई तकनीक के ईजाद पर जोर दिया. कहा कि झरिया में बहुत प्रदूषण है. यह समाप्त होगा, लेकिन इसके लिए लोगों को जागरूक करना होगा.
धनबाद में पर्यावरण के मानकों की होती है अनदेखी : मिश्रा
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व चेयरमैन एके मिश्रा ने कहा कि नियम की अनदेखी से ही नई औद्योगिक परियोजनाओं को सरकार से एनओसी नहीं मिल रही है, जबकि कई स्टेक होल्डर उद्योग लगाने की मांग कर रहे हैं. प्रदूषण के कारण ही हरियाली दूर भागती जा रही है.कहा कि धनबाद तभी स्वच्छ हो सकता है, जब लोग जागरूक होंगे. यहां पर्यावरण के मानकों की अनदेखी की जाती है. कोयले पर आधारित तमाम उद्योगों के कारण यहां प्रदूषण फैल रहा है.
इको फैंडली हो वातावरण : कर्मकार
डीजीएमएस के पूर्व उपनिदेशक एचएन कर्मकार ने पांचों तकनीकी सत्र के प्रमुख विषयों पर चर्चा करते हुए कहा कि यहां ओपेन कास्ट माइनिंग से प्रदूषण फैल रहा है. दूसरी ओर प्रकृति से छेड़छाड़, जंगल के कटाव, पॉलिथीन के प्रयोग, हैवी विस्पफोट, बायोबेस्ड मैटेरियल के डिस्पोजल नहीं हो रहा है. प्रयास ऐसा हो कि पूरा वातावरण इको-फ्रैंडिली हो. आयोजन को सफल बनाने में डीजीएमएस के डीडीजी डीबी नायक, एस रजनाकर, संजय सेन, केके सिंह, आलोक सिन्हा, डीके चौधरी व डॉ एन चंद्रा आदि का सराहनीय योगदान रहा.