जाली नाम व पता पर ठहरा था गुरुग्राम के गेस्ट हाउस में
गुर्गों के बैंक खाता में रंगदारी का रुपये मंगवाता था अखिलेश
जमशेदपुर: डॉन अखिलेश पुलिस से बचने के लिए जाली नाम व पता के साथ अपना वेशभूषा भी बदल रखा था. आठ-दस माह से वह लगातार अपनी पत्नी के साथ ही घूमता था. घुटने की बीमारी से अखिलेश परेशान है. पुलिस अखिलेश से जुड़े लोगों, पत्नी की पहचान व टेक्निकल अनुसंधान से उस तक पहुंची है. एसएसपी अनूप टी मैथ्यू व सिटी एसपी प्रशांत आनंद एक साल सेे अखिलेश व उससे जुड़े लोगों पर खुद नजर रख रहे थे.
अखिलेश सिंह अपनी ससुराल बनारस से जमशेदपुर पुलिस को चकमा देकर भागने के बाद लगातार अपने गिरोह के सदस्यों से फोन पर संपर्क में था. वह अपनी पत्नी गरिमा सिंह को हमेशा अपने साथ लेकर चलता था. उसकी यह कमजोरी पुलिस का हथियार बना. अखिलेश पुलिस से बचने से लिए ठिकाना के साथ अपनी वेशभूषा भी बदलते रहता था. अखिलेश के गुरुग्राम में गेस्ट हाउस में घुसने के बाद पुलिस को सूचना मिल गयी कि एक लंबा-चौड़ा कद काठी का व्यक्ति महिला के साथ आया है.जमशेदपुर पुलिस की टीम इसके बाद हरियाणा पुलिस के सहयोग से रेकी कर अखिलेश को पहचान लिया. गेस्ट हाउस की घेराबंदी कर उसे मुठभेड़ के बाद पत्नी के साथ दबोच लिया गया.
फर्जी वोटर आइडी कार्ड देकर रुका था अखिलेश
पत्नी के साथ गिरफ्तार अखिलेश सिंह 10 अक्तूबर से ही गुरुग्राम गेस्ट हाउस में ठहरा था. गेस्ट हाउस में वह फर्जी वोटर आइडी कार्ड जमा किया. अखिलेश का फोटो आइडी में था लेकिन अभय सिंह पिता सूर्यनाथ सिंह उल्लेख था. पुलिस ने उसके पास से कई फर्जी दस्तावेजों के अलावा बड़ी रकम भी जब्त की है. पुलिस की दबिश के कारण अखिलेश अपने गुर्गों की बैंक खाता में रंगदारी की राशि मंगवाता था. बनारस में पुलिस व राजनीतिक पकड़ के कारण जमेशदपुर पुलिस की छापामारी में अखिलेश बच गया था.
गैंगस्टर अखिलेश सिंह की झारखंड के अलावा बनारस में ससुराल वालों के जरिये पुलिस प्रशासन व राजनीति में अच्छी पकड़ है. इस कारण वह जमशेदपुर की पुलिस की टीम को चकमा देकर भाग निकला था. बनारस पुलिस के एक इंस्पेक्टर ने जिला पुलिस की छापामारी से पहले अखिलेश को फ्लैट में जाकर जमशेदपुर पुलिस के आने की सूचना दे दी थी. सिटी एसपी प्रशांत आनंद के नेतृत्व में टीम अखिलेश सिंह की तलाश में बनारस गयी थी. बनारस पुलिस की मदद से अखिलेश सिंह के जिस फ्लैट में छापेमारी करनी थी. वहां से अखिलेश पहले ही फरार हो गया था. बाद में पुलिस को पता चला कि बनारस के जिस टीम को वह साथ लेकर चल रहे थे, उसी टीम के पुलिस पदाधिकारी ने फ्लैट में जाकर जिला पुलिस की पहुंचने की खबर दी थी.
अखिलेश सिंह हमेशा दो दरवाजों वाले कमरे में रहता था. पुलिस को देखकर वह पीछे के दरवाजे फरार हो जाता था. बनारस के जिस फ्लैट में वह रहता था उस फ्लैट में भी आगे और पीछे से बाहर निकलने का दरवाजा था. वहीं गुरुग्राम के जिस गेस्ट हाउस से वह गिरफ्तार हुआ, वहां भी दो दरवाजे थे. इसके अलावा देहरादून व जयपुर में भी पुलिस टीम ने अखिलेश सिंह के फ्लैट में छापेमारी की थी. वहां भी पुलिस को आगे और पीछे दोनों तरफ दरवाजा मिला था.
डॉन से डायरेक्ट बात नहीं होती थी किसी की
पुलिस पूछताछ में डॉन ने बताया है कि उसकी डायरेक्ट बात गैंग से सदस्यों से नहीं होती थी. गैंग का कोई भी सदस्य उससे डायरेक्ट बात नहीं कर सकता था. गैंग से जुड़े जमशेदपुर के युवक रांची के युवकों से संपर्क कर जानकारी लेते थे. रांची के युवक हजारीबाग के युवकों से और आगे ऐसे ही चैनल से जानकारी उस तक पहुंचती थी. इस चैनल के कारण शहर के गिरोह के युवकों से अखिलेश के ठिकानों का पता नहीं चल पाता था. पुलिस ने इस चैनल से जुड़े कुछ युवकों को हायर कर गैंग को तोड़ने का काम किया. मोबाइल लोकेशन समेत परिवार से जुड़े लोगों से सहारे पुलिस उस तक पहुंची.
पुलिस की दबिश बढ़ने से ठिकाना व वेशभूषा बलते रहता था अखिलेश
जमशेदपुर पुलिस की बढ़ती दबिश के का्रण डॉन हमेशा वेशभूषा व ठिकाना बदलते रहता था. अखिलेश सिंह हमेशा फरारी में अपनी पत्नी गरिमा सिंह को साथ लेकर चलता था. संभवत: एनकाउंटर के भय से वह अपनी पत्नी को हमेशा साथ रखता था. वह गुरुग्राम के डीएलएफ इलाके सुशांत लोक के विस्कॉन गेस्ट हाउस में पत्नी के साथ ठहरा था. हरियाणा पुलिस और जमशेदपुर पुलिस की संयुक्त टीम की छापामारी में डॉन की पत्नी द्वारा पुलिस के साथ भिड़ंत से पुलिस यह अंदाजा लगा रही है कि एनकाउंटर के भय से वह पत्नी को साथ लेकर चलता था.घायल गैंगस्टर का इलाज गुरुग्राम के सिविल अस्पताल में चल रहा है. उसका दाहिना घुटना डैमेज हो चुका है.