शायद ऐसी ही परिस्थिति को देख कर किसी ने कहा है ‘अंधेरी नगरी और चौपट राजा’
मोमेंटम झारखंड के लिए दुल्हन की तरह सजी रांची की गलियों में अब अंधेरा पसरा हुआ है. इसे दुर करने के लिए सरकार ने तो प्लान बनाया था. लेकिन, वो कितना कारगर साबित हो पाया, वो गली मोहल्लों में फैले अंधेरे से पता लगाया जा सकता है. अंधेरा दूर करने के लिए 42 करोड़ का प्लान बना. घोषणा की गयी कि रांची का हर गली-मोहल्ला दूधिया रोशनी से नहला दी जाएगी. लेकिन वाकई में हुआ कुछ नहीं.
लगने थे 32 हजार एलइडी लाइट्स, लगे एक भी नहीं
नगर विकास मंत्रालय ने रांची में 32 हजार एलइडी लाइट लगाने के लिए एक साल पहले 42 करोड़ का डीपीआर तैयार किया था. इस काम के लिए सरकार ने एनर्जी इफियेंसी सार्विस लिमिटेड (इइएसएल) कंपनी का चयन किया. 26 जनवरी से इस कंपनी को लाइट लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी. जिसे शहर के 55 वार्डों के 174 स्कॉयर फीट में 32 हजार एलइडी लाइट लगानी थी. इसमें 16 हजार सोडियम वेपर लाइट को बदलकर एलइडी करनी थी. जहां पहले से लाइट की कोई व्यवस्था नहीं थी वहां लाइट लगाने के लिए खंभे लगाए गए. वो भी एक या दो नहीं बल्कि 16 हजार. अब एक साल बीतने को है. लेकिन 12 महीने में 12 लाइट भी शहर में नहीं लग पायी है.
लाइट लगने में आखिर देर क्यों
लाइट लगाने में क्यों देर हो रही है. इस पर रांची नगर निगम आयुक्त और इइएसएल कंपनी के डीप्टी मैनेजर का बयान अगल-अलग है. आयुक्त के हिसाब से लाइट लगनी शुरू हो गयी है. उनका कहना है कि एक महीने पहले ही इइएसएल से निगम का एग्रीमेंट हुआ है और शहर में लाइट लगायी जा रही है. वहीं, इइएसएल कंपनी के मैनेजर राकेश झा कहते हैं कि लाइट लगाने का काम एक हफ्ते में शुरु होगा.
बस सुनने में आया है कि लाइट लगेगी: डिप्टी मेयर
रांची नगर निगम के उपमहापौर संजय विजयवर्गीय का कुछ और ही बयान है. उन्होंने कहा कि सुनने में आया था कि अगले महीने से ही काम शुरू होगा. लेकिन अगले-अगले महीने करते हुए एक साल बीत गया, और एक भी एलइडी लाइट नहीं लग पायी है. मुझे लगता है कि साजिश के तहत लाइट लगाने में देर की जा रही है. क्या कहा उपमहापौर ने देखें वीडियो