झारखंड स्पोर्टस एकेडमी के लिए 100 बच्चों का अंतिम रूप से चयन कर लिया गया है. राज्यभर के 20 हजार बच्चों की स्क्रीनिंग की गयी थी. 200-200 बच्चों का एक-एक ग्रुप बनाया गया था और प्रत्येक 200 बच्चों में से एक बच्चे का स्क्रीनिंग के बाद चयन किया गया. सभी 2000 बच्चों को बैटरी टेस्ट से गुजरना पडा. चयनित सभी 100 बच्चों को निःशुल्क ट्रेनिंग दी जायेगी. सरकार ने सभी का एकेडमी में नामांकन भी करा दिया है. चयनित 50 लडके और 50 लडकियों को रूचि और प्रदर्शन के आधार पर उस खेल के लिए अंतिम रूप से नामांकित कर लिया जायेगा. बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, खाने-पीने और रहन-सहन के साथ-साथ ड्रेस भी सरकार के द्वारा मुहैया कराया जायेगा.
कैसे होता है बच्चों का चयन
बैटरी टेस्ट के अंतर्गत बच्चों की शारीरिक, मानसिक और खेल की क्षमता को आंका जाता है. खेल विशेषज्ञ, साइकोलॉजिस्ट, स्पोर्ट्स साइंस के विशेषज्ञ और कोच बच्चों का चयन करते है. एक साल तक सभी की फाइन ट्यूनिंग की जायेगी. एक साल के बाद पारा मीटर के आधार पर कौन सा बच्चा कौन से खेल में बेहतर करेगा साथ ही मानसिक रूप से उस खेल के लिए तैयार है कि नहीं यह देखने के बाद उनका चयन किया जाता है. प्रशिक्षण के एक साल के बाद विशेष खेल का प्रशिक्षण दिया जायेगा. बच्चों को हॉकी, तीरंदाजी, फुटबॉल, वालीबॉल, बैंडमिंटन आदि खलों का प्रशिक्षण दिया जायेगा.
एक लाख बच्चों की होगी स्क्रीनिंग
सरकार ने तय किया है कि अब ज्यादा से ज्यादा बच्चों की स्क्रीनिंग की जायेगी. खेल सचिव राहुल शर्मा ने बताया कि अब एक लाख बच्चों की 10 दिनों की स्क्रीनिंग ली जायेगी. जिसमें 222 बच्चों का अंतिम रूप से चयन किया जायेगा. राहुल शर्मा ने बताया कि गांव-गांव में छिपी प्रतिभा को तराशकर निकाला जायेगा, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड खेल की प्रतिभाओं से भरा पडा है, बस उन्हें मौके की तलाश है. गौरतलब है झारखंड खेल प्राधिकरण एवं सीसीएल के ज्वाइंट वेंचर में झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स प्रोमोशन सोसाईटी का गठन किया गया है. 1 जुलाई 2016 को पहले बैच में 78 बच्चों का चयन किया गया था. जिसमें 54 लडके और 24 लडकियां शामिल थी.