झारखंड में भाजपा सरकार के 1000 दिन की उपलब्धियां गिनाते हुए हुए खाद्य आपूर्ति विभाग ने दावा किया था कि झारखंड में 11.64 लाख ‘फर्जी’ एवं ‘अयोग्य’ राशन कार्ड रद्द कर 72 मीट्रिक टन अनाज व 225 करोड़ रुपये की बचत की है. लेकिन सच्चाई कुछ और जान पड़ती है.
सरकार ने किया गरीबों का राशन कार्ड रद्द
खाद्य आपूर्ति विभाग ने “फर्जी” एवं “अयोग्य” बतलाकर लाखों लोगों के राशन कार्ड को रद्द कर दिया. लेकिन सच्चाई कुछ और है. राशन कार्ड रद्द होने के कई ऐसे मामले आये हैं जिसमें स्पष्ट है कि मेहनतकश इमानदार लोगों को “फर्जी” एवं “अयोग्य” बतलाकर उनका राशन कार्ड रद्द कर दिया गया है.
कई झूठे मामले
खूंटी प्रखंड के डारीगुट्टू पंचायत के बुरुडीह गांव के कितनी टूटी, रासमनी देवी, हिस्से देवी, शांति देवी, श्याम टूटी, देव गांव के मरियम टूटी, मेरी टूटी, सल्गाडीह गांव की मानी टूटी, राणी टूटी का राशन कार्ड रद्द कर दिया गया है. (देखें तस्वीर)
इसी तरह से पलामू जिला के मोहम्मदगंज प्रखंड के रामबांध पंचायत के दूबा गांव की लीलावती देवी का भी राशन कार्ड रद्द कर दिया गया है.
ये मात्र चंद नाम हैं अपने कार्यक्षेत्र में. ऐसे कई जरूरतमंद लोग मिल जायेंगे जिनका राशन कार्ड रद्द कर दिया गया है.
1000 दिन में कितने ड़ीलरों का लाईसेंस रद्द हुआ, कितने अधिकारियों पर कारवाई हुई?
1000 दिन की उपलब्धि गिनाते हुए खाद्य आपूर्ति विभाग ने यह तो बतला दिया कि 11.64 लाख “फर्जी” एवं “ अयोग्य” लोगों के राशन कार्ड रद्द कर दिए गए हैं. मगर यह नहीं बतलाया कि कितने भ्रष्ट डीलरों के लाईसेंस रद्द हुए, कितने भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कारवाई हुई. जबकि आये दिन भ्रष्ट डीलरों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन होते रहते हैं.
किसके कहने पर चल रहा है खाद्य आपूर्ति विभाग?
खूंटी में जब राशन कार्ड रद्द होने की शिकायत प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी से की गयी तो बतलाया गया कि आधार कार्ड जमा नहीं करने की वजह से राशन कार्ड रद्द कर दिया गया है. मालूम हो कि 2 मई 2017 को खाद्य आपूर्ति मंत्री ने अखबार में यह बयान दिया था कि आधार नहीं होने की वजह से राशन कार्ड रद्द नहीं होगा. बावजूद इसके आधार नंबर नहीं जुड़ने के कारण राशन कार्ड रद्द किये जा रहे हैं. सवाल यह है कि अगर अधिकारी मंत्री की नहीं सुन रहे तो खाद्य आपूर्ति विभाग किसके कहने पर चल रहा है?
आधार शोषण का नया हथियार
आधार सक्षम वर्ग के द्वारा मेहनतकश गरीबों के शोषण का नया हथियार बन गया है. ग्रामीणों को अयोग्य एवं फर्जी बताकर बस इसलिए राशन कार्ड रद्द कर दिया गया कि उन्होंने आधार कार्ड नहीं जमा किया है. जबकि ग्रामीणों का कहना था कि उन्होंने आधार जमा कर दिया है. यानी कि लापरवाही प्रशासन की ओर से हुई है. ग्रामीणों ने तो सरकार का आदेश मानकर आधार जमा कर दिया लेकिन प्रशासन की ओर से सीडिंग (आधार नंबर को राशन कार्ड नंबर से जोड़ना) नहीं किया गया.
सीडिंग क्यों नहीं हुई
सवाल है कि जब आधार जमा कर दिया जा रहा है तो फिर सीडिंग क्यों नहीं हुई. सरकार हर तरह की सेवा में तानाशाह की तरह आधार को अनिवार्य कर रही है. लेकिन अधिकारी एवं कर्मचारी महीनों पहले जमा किये आधार नंबर को राशन कार्ड नंबर से जोड़ने का मामूली काम नहीं कर पाते हैं. फिर जरूरतमंद लोगों को फर्जी बतलाकर उनका राशन कार्ड रद्द कर देते हैं.