राज्य का पहला महिला इंजीनियरिंग कॉलेज रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड में खुलेगा. राज्य सरकार ने इस कॉलेज को खोलने के लिए 104 करोड़, 37 लाख, 11 हजार 700 रुपए के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
2019 से दाखिले शुरू होने की उम्मीद
सरकार की इस पहल से यहां की छात्राओं को तकनीकी शिक्षा लेने के लिए दूसरे राज्यों का रूख नहीं करना पड़ेगा. बेटियों को तकनीकी रूप से दक्ष करने के लिए सरकार रामगढ़ के गोला में इंजीनियरिंग कॉलेज खोल रही है. 2019 से दाखिले शुरू होने की उम्मीद है. एआईसीटीई के अनुसार पहले सत्र से पांच ब्रांच में 300 लड़कियों को दाखिला मिलेगा.
इंजीनियरिंग के अलावा दो और कोर्स में ले सकते है दाखिला
सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स के अलावा दो और कोर्स शुरू किए जाएंगे. इनमें इसीई, माइनिंग और मेटलर्जिकल की पढ़ाई शामिल होगी. सरकार के स्तर पर यह तय किया गया है कि सरकारी तकनीकी कॉलेजों में रोजगारपरक और डिमांड के अनुसार कोर्स शुरू किए जाएंगे.
जमशेदपुर में कॉलेज के लिए खोजी जा रही जमीन
इंजीनियरिंग कॉलेज जमशेदपुर के लिए जमीन की तलाश चल रही है. उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग की ओर से जिला प्रशासन को जमीन उपलब्ध कराने को कहा गया है. इसके लिए फंड भी उपलब्ध करा दिया गया है. वहीं जमशेदपुर में काम शुरू कर दिया गया है तथा कोडरमा में भूमि पूजन कर लिया गया है. इन दोनों इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी दो साल बाद दाखिले लिए जाने की उम्मीद है.
15 इंजीनियरिंग कॉलेजों में सिर्फ एक सरकारी
राज्य में फिलहाल 15 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं. इनमें बीआईटी सिंदरी को छोड़ एक भी सरकारी नहीं है. तीन कॉलेज पीपीपी मोड पर और यू-सेट हजारीबाग का संचालन विनोबा भावे विवि की ओर से किया जाता है. यूसेट के लिए सरकार ने निर्माण के समय पैसे दिए थे. परंतु संचालन को पैसे नहीं दे रही है. नतीजा इसका संचालन विवि के स्तर पर किया जा रहा है. शेष 10 इंजीनियरिंग कॉलेज निजी हैं, जो छात्रों की पसंद नहीं बन रहे हैं.
12,100 छात्रों को मिलता है दाखिला
राज्य के 15 इंजीनियरिंग कॉलेजों में फिलहाल हर साल करीब 12,100 छात्र-छात्राओं को दाखिला दिया जाता है. इनमें पहले वर्ष में 8,06 छात्र-छात्राओं को दाखिला दिया जाता है. वहीं डिप्लोमा (पॉलिटेक्निक) के 4,022 विद्यार्थियों को बीटेक के दूसरे वर्ष में लैटेरल इंट्री के तहत सीधा दाखिला लिया जाता है.
हालांकि राज्य के अधिकांश निजी कॉलेजों में दाखिला लेने से बच्चे कतराते हैं. वह निजी कॉलेजों में न पढ़कर हल्दिया और कर्नाटक के कॉलेजों में दाखिला ले लेते हैं.