व्यावसायिक खनन के प्रथम चरण के लिए झारखंड के एक कोयला खान समेत कुल 10 कोयला खदानों की नीलामी होगी. इनमें झारखंड का मेदनीराय, ओड़िशा का चेंडीपाद, चेंडीपाद-2, महानदी और मछकता, छतीसगढ़ का शंकरपुर भटगांव, दुर्गापुर दो त्रैमार, दुर्गापुर-दो सरिया, मदनपुर नार्थ एवं मध्यप्रदेश डोंगरिताल के दो खान शामिल हैं. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक खानों की नीलामी दिसंबर में होने की संभावना है.
किस खान में कितना एमटी कोयला : झारखंड के मेदनीराय में 80.83 एमटी, चेंडीपाद में 1244.37 एमटी, मछकता में 474.34 एमटी और शंकरपुर भटगांव में 80.14 एमटी कोयला रिज़र्व है. व्यावसायिक खनन के तहत खदानों को नीलामी के माध्यम से लेनेवाली कंपनियों को कोयला उत्पादन करने के साथ-साथ बेचने का भी अधिकार होगा.
क्या है मामला : कोयला खान (विशेष प्रावधान) अधिनियम 2015 राज्य सभा से 20 मार्च 2015 को पारित हुआ. 30 मार्च 2015 को राष्ट्रपति ने अधिसूचना जारी की. दो फरवरी 2017 को कोयला सचिव सुशील कुमार ने एलान किया की कोयला खानों की व्यावसायिक खनन के लिए नीलामी होगी. व्यावसायिक खनन के लिए कोयला खानों की नीलामी विषय को पब्लिक डोमेन में डाल कर हितधारकों से विचार आमंत्रित किये गये. 10 अप्रैल 2017 को हितधारकों के साथ कोयला मंत्रालय के बड़े अधिकारियों ने बैठक की. बैठक में अडानी इंटरप्राइजेज, जेएसपीएल, जेएसडब्ल्यू स्टील, जीएमआर, टाटा स्टील जैसे बड़ी कंपनियों के अधिकारियों ने हिस्सा लिया.
ऐतिहासिक कदम : राष्ट्रीयकरण के बाद कोयला उद्योग निजीकरण की ओर कदम बढ़ा चुका है. देश की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने कोयला खानों का राष्ट्रीयकरण किया था. 1971 में कोकिंग कोयला खदानों एवं 1973 में नन कोकिंग कोल खदानों का राष्ट्रीयकरण किया गया. 1975 में कोल इंडिया की स्थापना हुई. 42 सालों के बाद कोयला खदानें फिर निजीकरण के रास्ते पर हैं. सरकार के इस फैसले से कोल इंडिया के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न होगा.