लखनऊ में एक विंग में आईजी के पद पर तैनात हैं अफसर
गैंगस्टर एक्ट में गिरफ्तार सुल्तानपुर के एक कांग्रेस नेता संदीप तिवारी उर्फ पिंटू के जरिये यह डील की जा रही थी. उसे 16 सितंबर को पंजाब पुलिस और यूपी एटीएस ने दबोचा था. मामले का खुलासा तब हुआ जब पंजाब पुलिस ने अपराधियों के नंबर सर्विलांस पर लिए. उनकी बातचीत में उक्त अधिकारी का नाम सामने आया है. सूत्रों की मानें तो वह आईपीएस अफसर लखनऊ में ही पुलिस की एक विंग में आईजी के पद पर तैनात है.
क्या है पूरा मामला
शाहजहांपुर से हिरासत में लिए गए नाभा जेल ब्रेक कांड के आरोपी गोपी घनश्यामपुरा को छुड़ाने के लिए एक अधिकारी पर रिश्वत देने का आरोप लगा. इस बड़े अधिकारी के साथ 45 लाख रुपये की डील हो चुकी थी. इसका खुलासा तब हुआ जब पंजाब में शराब कारोबारी रनधीप सिंह रिंपल व यूपी के अमनदीप सिंह और हरजिंदर सिंह से सामूहिक पूछताछ की गई. सूत्रों का कहना है कि पिंटू तिवारी के माध्यम से प्रदेश पुलिस के एक बड़े अफसर तक पैसे पहुंचाए जाने थे ताकि घनश्यामपुरा को छुड़ाकर पंजाब लाया जा सके.
कई और कारनामे कर चुका है आईजी
सूत्रों का कहना है कि जिस आईपीएस अधिकारी का नाम इस पूरे मामले में आ रहा है वह लखनऊ में ही पुलिस की एक विंग में आईजी के पद पर तैनात हैं. सूत्रों का कहना है कि यह आईजी के कई और कारनामे में भी सामने आ चुके हैं लेकिन अपने मातहतों को अपनी पहुंच की धौंस देने वाले इस अफसर के खिलाफ शिकायत की हिम्मत किसी की नहीं हुर्ई.
देर रात तलब किए गए डीजीपी और प्रमुख सचिव गृह
मामला जब उजागर हुआ तो देर रात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार और पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह को तलब किया। मुख्यमंत्री ने पूरे मामले की जांच एडीजी स्तर के अधिकारी से कराने के निर्देश दिए। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि पंजाब के एक अपराधी को पकड़ने के बाद छोड़ने केलिए पैसे लेने के आरोप की जांच के लिए एडीजी स्तर के अधिकारी करेंगे.