जीवन जीने की समझ अगर लोगों को हो जाये तो दुःख, तनाव, चिंता से मुक्ति मिल जायेगी. समझ के अभाव में ही मनुष्य दुख और पीड़ा में जीवन व्यतीत कर रहा है. ये बातें साइंस डिवाइन फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु साक्षी राम कृपाल जी ने एक वार्ता में पुटकी स्थित होटल नवनीत रेसिडेंसी में कही. राम कृपाल जी झरिया में गुरुवार को आयोजित साक्षी साधना शिविर कार्यक्रम में शामिल होने यहां पहुंचे हैं.
ग्रंथों में लिखी बातों को दुहराया जा रहा है : राम कृपाल जी ने कहा कि केवल मान्यताओं को दुहरा कर किसी को सत्य का अनुभव नहीं कराया जा सकता. आज धर्म के नाम पर केवल रामायण, महाभारत जैसे ग्रंथों में लिखी बातों को ही दुहराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जीवनकाल में बुद्ध, महावीर, कृष्ण, मोहम्मद साहब, गुरुनानक पर लिखी पुस्तकों को पढ़ने से मन में एक चेतना उत्पन्न हुई. व्यक्तिगत अनुभव से पाया कि महत्वपूर्ण सूत्रों का अभ्यास किया जाये तो चेतना के बल पर मनुष्य का रासायनिक परिवर्तन बहुत सरलता से किया जा सकता है.
प्रशासक से अध्यात्म तक का सफर : उत्तरप्रदेश के सुल्तानपुर में जन्मे राम कृपाल उपाध्याय ने 1980 में प्रयाग विश्वविद्यालय से बीए की शिक्षा ग्रहण की, उसी वर्ष प्रशासनिक सेवा में बहाल होकर डीएसपी बने, यह नौकरी छोड़ 1984 में बरेली के डिप्टी कलेक्टर बने, लेकिन यह पद भी त्याग दिया. उसी वर्ष उत्तरप्रदेश के परिवहन विभाग में ज्वाइन किया, 2017 में अपर परिवहन आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हुए, जहां से सद्गुरु साक्षी राम कृपाल जी का अध्यात्म की आेर झुकाव हो गया. नौकरी के दरम्यान ही 2004 में साइंस डिवाइन फाउंडेशन का गठन किया. सेवानिवृत्ति के बाद जीवन की जीने की कला के प्रचार में लग गये.