जीएसटी लागू होने के बाद एक देश, एक टैक्स की परिकल्पना साकार हो गयी. बड़े कारोबारियों को जीएसटी से कोई खास दिक्कत तो नहीं हुई, लेकिन छोटे व्यवसायी जीएसटी की मार से अबतक उबर नहीं पाये हैं. अभी तक हॉलसेलर और रिटेलर्स के बीच तालमेल पूरी तरह नहीं बन पाया है. उधार और क्रेडिट का कारोबार तो बिल्कुल ही खत्म हो चुका है. सबकुछ ऑनलाइन और पक्के बिल पर है. छोटे और मंझोले व्यवसायी अब भी जीएसटी में कई खामियां गिना रहे हैं. उनका कहना है कि जीएसटी ने उनका धंधा ही चौपट कर दिया है. न्यूज विंग ने जीएसटी पर रांची के कई छोटे और मंझोले व्यवसायियों की राय जानने की कोशिश की.
छोटे कारोबारियों पर भारी पड़ा जीएसटी
हार्डवेयर व्यवसायी बलानंद झा का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद छोटे व्यवासियों के कारोबार में बड़ी तेजी से मंदी आयी है. छोटे और मंझोले व्यवसायियों की तो इस जीएसटी ने कमर ही तोड़ दी है. पहले तो उधार और क्रेडिट में भी माल मिल जाता था, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद हॉलसेलर ने सिर्फ कैश ऑन डिलीवरी का सिस्टम लागू कर दिया. हालांकि जीएसटी नंबर मिलने के बाद व्यवसाय थोड़ा पटरी पर लौटा है. सबसे ज्यादा परेशानी ग्राहकों को समझाने में आ रहा है. जिन वस्तुओं पर जीएसटी लगने के बाद उनका दाम बढ़ा है, उसे खरीदने वाले ग्राहक कई सवाल कर रहे हैं. व्यवसायी ग्राहकों को जीएसटी की पेचीदगियां समझाने में नाकाम रहते हैं. इसके कारण ग्राहकों के दूर होने का डर भी बना रहता है.