गुड्स एंड सर्विस टैक्स(जीएसटी) एक जुलाई से लागू हो गया. तीन माह बीत गये लेकिन जीएसटी की जटिल प्रक्रिया से व्यवसायी उबर नहीं पाये हैं. ऑन लाइन रिटर्न भरने में व्यवसायियों के पसीने छूट रहे हैं. चूंकि पोर्टल भी सही तरीके से काम नहीं कर पा रहा है. इसलिए वे खुद से रिटर्न भर नहीं पा रहे हैं. वहीं छोटे दुकानदारों की मुश्किलें अलग है. सवाल उठ रहे हैं कि आखिर छोटे दुकानदार सीए का खर्च कैसे वहन कर पायेंगे. रिटर्न भरने में सीए साढ़े तीन हजार से लेकर पांच हजार ले रहे हैं. व्यापारियों की मानें तो नोट बंदी के बाद से ही व्यापार चौपट हो गया है. रहा सहा कसर जीएसटी ने निकाल दिया है. पूजा में उम्मीद थी कि व्यापार बढ़ेगा, लेकिन इस पर भी पानी फिर गया है. व्यापार कब तक पटरी पर लौट आयेगा. यह समझ में नहीं आ रहा है. ज्वेलरी से लेकर कपड़ा व्यवसाय तक पर जीएसटी का असर दिख रहा है. खास कर छोटे व मझोले व्यापारी काफी परेशानी में है. अधिकांश समय पेपर वर्क में बीत रहा है. रिटर्न खूद फाइल नहीं कर पा रहे हैं. बाजार को संभलने में छह माह से एक साल तक लगेगा. वैसे लोग ही खरीदारी कर रहे हैं जिन्हें अति आवश्यक है.
व्यवसायियों के सामने आ रही परेशानी
-आखिर छोटे दुकानदार कैसे वहन कर पायेंगे चार्टर्ड एकाउंटेंट का खर्च
-ज्वेलरी से लेकर कपड़ा व्यवसाय पर दिख रहा असर
-प्रक्रिया जटिल, सर्वर नहीं दे रहा साथ
– 20 लाख से कम टर्न ओवर करनेवाले का इंटर स्टेट परचेज में आ रही परेशानी
सरकार ने जीएसटी में किया संशोधन, दी राहत
-1.50 करोड़ के सालाना टर्न ओवर पर तीन माह में देना है रिटर्न
– 50 हजार के अाभूषण की खरीद पर पेन नंबर की अनिवार्यता हटिया गयी
-कंपोजिशन स्कीम का लाभ लेनेवाले व्यवसायियों की सीमा 75 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ की गयी.
नयी कर प्रणाली से व्यापारी परेशान, कहा
व्यापार करें या कंप्यूटर में उलझे रहें
अशोक सर्राफ, डीलर : जीएसटी लागू किया गया लेकिन सिस्टम सपॉट नहीं कर रही है. हर प्रोडक्ट का एचएसएन कोड व रिटर्न भरने में काफी परेशानी हो रही है. मूलभूत सुविधा नहीं है और जीएसटी लागू कर दिया गया है. टैक्स देने से पीछे नहीं हैं. सिस्टम ठीक नहीं है, इसके कारण परेशानी हो रही है.
जय प्रकाश चौरसिया, व्यवसायी : जीएसटी जब से लागू हुआ है. जितना समय बिजनेस में देना पड़ता है, उतना ही समय जीएसटी में देना पड़ रहा है. जीएसटी की प्रक्रिया काफी जटिल है. सिस्टम सपॉट नहीं करता है. तीन माह में एक रिटर्न फाइल करने का जो प्रावधान लागू किया है, इससे छोटे व्यवसायी को राहत मिलेगी.
ललित जगनानी, डीलर : जीएसटी में सिर्फ साइट खुलने में थोड़ी परेशानी हो रही है. हालांकि इसका भविष्य काफी अच्छा है. कुछ लोग इसे दिगभ्रमित कर रहे हैं. सरकार ने एक माह में रिटर्न के प्रावधान में तब्दीली कर छोटे व्यवसायियों को राहत दी है. रिटर्न भरने की प्रक्रिया जटिल है. रिटर्न भरने के नाम पर सीए रोटी सेक रहे हैं.
सुदर्शन जोशी, व्यवसायी : जीएसटी को लागू करने में जल्दबाजी की गयी है. तीन माह बीत गये लेकिन दुकानदार पूरी तरह जीएसटी को समझ नहीं पा रहे हैं. डेढ़ करोड़ के वार्षिक रिटर्न पर तीन माह में रिटर्न फाइल करने की छूट दी गयी है. यह सरकार का अच्छा कदम है. शुरुआत में थोड़ी समस्या है लेकिन भविष्य अच्छा है.
ओम अग्रवाल, व्यवसायी : जीएसटी के कारण कारोबार प्रभावित हुआ है. ऑन लाइन रिटर्न में परेशानी हो रही है. सरकार ही जीएसटी को लेकर पूरी तरह तैयार नहीं थी और इसे लागू कर दिया गया. शुरुआत में थोड़ी परेशानी हो रही है. लेकिन आनेवाले समय में इसका भविष्य काफी अच्छा है. नौकरशाह पर अंकुश लगेगा.
प्रवीण अग्रवाल : जीएसटी से कपड़ा का कारोबार काफी प्रभावित हुआ है. ज्वेलरी का हाल भी बुरा है. आभूषण की खरीद पर एक की जगह तीन हजार टैक्स देना पड़ रहा है. हालांकि पचास हजार की ज्वेलरी पर पेन कार्ड की अनिवार्यता समाप्त करने से फिर से बाजार उठने की संभावना है.
ग्राहकों ने कहा
अच्छा कदम, भ्रष्टाचार पर लगेगी अंकुश
ईशा गुरूदत्ता, रानीगंज : जीएसटी लागू करना सरकार का अच्छा कदम है. इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और टैक्स का पैसा सीधे सरकार के खाते में जायेगा. भारत की आर्थिक व्यवस्था सुदृढ़ होगी और 2021 तक भारत यूएसए से भी आगे निकल जायेगा. जीएसटी के कारण सामान थोड़ा महंगा हुआ है, लेकिन इससे भ्रष्टाचार पर पूरी तरह अंकुश लगेगा.
शशिभूषण सिन्हा, कुस्तौर : जीएसटी से हमलोग खुश है. कम से कम हमें तो यह मालूम हो रहा है कि सामान कितने है. पहले कच्चा बिल थमा दिया जाता था. जीएसटी के कारण सोना थोड़ा महंगा पड़ रहा है. लेकिन अब तो कम से कम टैक्स सरकार के खजाना में तो जा रहा है. नया बिल आने के बाद सामान के दाम भी गिरेगा.