गोधरा में साबरमती ट्रेन के डिब्बे जलाने के मामले में आज अपना फैसला सुना दिया. कोर्ट ने एसआईटी की विशेष अदालत की ओर से मामले की सुनवाई करते हुए 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया हैं. इसी के साथ अब इस मामले में किसी भी दोषी को फांसी की सजा नहीं मिलेगी. गौरतलब है कि 2011 में निचली अदालत ने 11 को फांसी और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
गोधरा कांड : मोदी समेत 56 आरोपियों को मिली क्लीन चिट
इनकी फांसी की सजा बदली गई
1. हाजी बिलाल इस्माइल
2. अब्दुल मजीद रमजानी
3. रज्जाक कुरकुर
4. सलीम उर्फ सलमान जर्दा
5. ज़बीर बेहरा
6. महबूब लतिका 7. इरफान पापिल्या
8. सोकुट लालू
9. इरफान भोपा
10. इस्माइल सुजेला
11. जुबीर बिमयानी
क्या था मामला
27 फरवरी 2002 में गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती ट्रेन के एस-6 कोच को आग के हवाले कर दिया गया था. इस आगजनी में कुल 59 लोगों की मौत हो गई थी. जिसके बाद इस मामले में कर्रवाआ करते हुए लगभग 1500 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. ट्रेन में आग पेट्रौल डालकर लगा दी गयी थी. गोधरा कांड की जांच कर रहे नानवटी आयोग ने भी ऐसा ही माना. इसके बाद प्रदेश में सांप्रदायिक दंगे भड़के और उसमें करीब 1200 से अधिक लोग मारे गए.
दुर्घटना नहीं बल्कि साजिश थी घटना
जनवरी 2005 में केस की जांच कर रही यूसी बनर्जी समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया था कि एस-6 में लगी आग एक दुर्घटना थी. समिति ने इस बात की आशंका को खारिज किया कि आग बाहरी तत्वों द्वारा लगाई गई थी. 13 अक्टूबर 2006 को गुजरात हाई कोर्ट ने यूसी बनर्जी समिति को अमान्य करार देते हुए उसकी रिपोर्ट को भी ठुकरा दिया. उसके बाद 2008 में एक जांच आयोग बनाया गया और नानावटी आयोग को जांच सौंपी गई जिसमें कहा गया था कि आग दुर्घटना नहीं बल्कि एक साजिश थी.