धनबाद
कोल इंडिया ने अपने कर्मियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्कीम तैयार कर ली है. इसकी कॉपी ट्रेड यूनियन नेताओं एवं सभी अनुषंगी कंपनियों को भेज कर उनसे उनके विचार मांगे गये हैं. जानकारी के मुताबिक स्टेच्यूरी पद वाले कर्मी इस स्कीम के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले सकते हैं. यह स्कीम कोल इंडिया की सभी कंपनियों में लागू होगी. जानकार इसे भूमिगत खदानों के कर्मचारियों की संख्या कम करने वाली स्कीम बता रहे हैं. वहीं कंपनी के अनुसार कंपनी को बेहतर बनाने के लिए यह स्कीम लांच की जा रही है.
क्या है मामला
कोल इंडिया प्रबंधन ने दसवें जेबीसीसीआइ की 28 जुलाई को हुई बैठक में 37 भूमिगत खदानों को बंद करने एवं कर्मियों के लिए वीआरएस स्कीम का प्रस्ताव दिया था. इन खदानों से कोयले के उत्पादन में भारी खर्च हो रहा है. प्रबंधन की रिपोर्ट के मुताबिक 37 खदानों पर कंपनी को सलाना 422 करोड़ का घाटा हो रहा है. जानकार सूत्रों के मुताबिक वीआरएस स्कीम भूमिगत खदानों के कर्मियों के लिए ही है. इसके लिए ईसीएल के डीपी केएस पात्रो की अध्यक्षता में एक कमेटी बनायी गयी थी. इसमें आरएस झा डीपी एसइसीएल, एलएन मिश्रा, डीपी एमसीएल और कोल इंडिया के सिनियर मैनेजर वेद प्रकाश शामिल थे. कमेटी की बैठक बैठक रायपुर में हुई, जिसमें स्कीम तैयार की गयी.
इन्हें नहीं मिलेगा लाभ
कंपनी के स्टेच्यूरी पद वाले कर्मी ओवरमैन, माइनिंग सरदार, सर्वेयर, इलेक्ट्रिकल सुपरवाइजर, वाइंडिग इंजन ऑपरेटर, ड्रेग लाइन ऑपरेटर, शावेल ऑपरेटर, डंपर ऑपरेटर, ड्रील ऑपरेटर, क्रेन ऑपरेटर, डोजर ऑपरेटर, सरफेस माइनर, इलेक्ट्रिशियन और पारा स्टाफ को वीआरएस नहीं मिलेगा.
वीआरएस के लिए योग्यता
वैसे कर्मचारी जो कम से कम दस साल नौकरी और 40 की उम्र पूरी कर चुके हों. जो गंभीर बीमारी मसलन हर्ट, एचआइवी, टीबी, कैंसर, लेप्रोसी, ब्रेन डिसआॅडर, पूरी तरह से नेत्रहीन हैं वे इस स्कीम तहत वीआरएस ले सकते हैं. जिनकी नौकरी 6 महीने बाकी है, उन्हें इसका लाभ नहीं मिलेगा. वीआरएस लेने वाले कर्मियों को किये गये नौकरी के साल के 45 दिन का वेतन और बाकी नौकरी का पूरा वेतन मिलेगा. इस स्कीम के तहत मिलने वाले पैसे नियमानुसार टैक्स के दायरे में होंगे.
आवेदन के नियम
इसके तहत एक फॉरमेट पर आवेदन कर कोलियरी में रिसीव कराना होगा. कोलियरी से आवेदन एरिया ऑफिस जायेगा और वहां से कंपनी मुख्यालय. कंपनी के डीपी इस स्कीम के सक्षम अधिकारी होंगे. इस स्कीम तहत आवेदन देने के बाद अगर किसी कर्मी की मौत हो जोती है तो उसके बदले किसी आश्रित को नियोजन नहीं देकर प्रबंधन क्षतिपूर्ति देगा. स्कीम लागू होने के बाद एक साल तक वैलिड रहेगा.
-लागू होगा नया माइंस रेगुलेशन एक्ट-2017
माइंस रेगुलेशन एक्ट 1957 में संशोधन, श्रम मंत्रालय जल्द जारी करेगा नोटिफिकेशन
60 साल पुराने कोल माइंस रेगुलेशन एक्ट-1957 में बदलाव की तैयारी पूरी कर ली गयी है. संभवत: अगस्त के अंत तक श्रम मंत्रालय नोटिफिकेशन जारी कर देगा. इसके साथ ही देश की सभी कोयला खदानों में नये माइंस रेगुलेशन एक्ट-2017 को लागू कर दिया जायेगा. बता दें कि इस आशय की फाइल खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) ने पहले ही श्रम मंत्रालय को स्वीकृति के लिए भेजा दी थी. कैबिनेट ने उस पर सहमति बनाते हुए अपनी मुहर लगा दी है. प्रस्ताव की कानूनी जांच के उपरांत गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया जायेगा.
क्या है नये माइंस रेगुलेशन एक्ट में
नये कोल माइंस रेगुलेशन एक्ट में कांट्रैक्टर व सप्लायर को भी परिभाषित किया गया है. सभी की जिम्मेवारी भी तय की गयी है.
नये एक्ट में माइंस ऑपरेटर अपना सेफ्टी मैनेजमेंट प्लान खुद तय कर पायेंगे. प्लान का तरीका क्या होगा? कैसे कार्य में लोगों को सुरक्षित रखेंगे? इसका निर्णय वे खुद ले सकेंगे. पहले माइंस ऑपरेटर खुद से कोई निर्णय नहीं ले पाते थे.
ओपेन कास्ट के लिए अलग प्रमाण पत्र
ओपेन कास्ट में कार्य करने के लिए कर्मियों को रिस्ट्रिक्टेड प्रमाण पत्र दिया जायेगा. बिना प्रमाण पत्र के ओपेन कास्ट में कार्य नहीं कर पायेंगे. फर्स्ट व सेकेंड क्लास मैनेजर, ओवरमैन, सर्वेयर, फोरमैन व माइनिंग सरदार आदि सब के लिए प्रमाण पत्र आवश्यक होगा.
गोल सेटिंग होगा नया रेगुलेशन :
नये रेगुलेशन से कोल ऑपरेटर को सजग रहने की जरूरत है. क्योंकि नया रेगुलेशन गोल सेटिंग होगा. जिसमें सुरक्षा नियमों को पूरा करने की जवाबदेही बढ़ जायेगी. पुराना रेगुलेशन प्रिस्क्रिप्टिव है, जिसमें मैप तैयार होता है.
2007 में बनी थी कमेटी
माइंस एक्ट में बदलाव के लिए नौ सदस्यीय कमेटी का गठन वर्ष 2007 में किया गया था. बताते हैं कि नये माइंस रेगुलेशन का खाका तैयार करने में कमेटी को आठ वर्ष से अधिक का समय लगा. जिसके पश्चात 358 पेज का नया प्रस्ताव तैयार हो सका है.
माइंस रेगुलेशन एक्ट में बदलाव का प्रस्ताव फाइनल स्टेज पर है. लीगल सेल में प्रस्ताव की जांच के उपरांत मंत्रालय द्वारा नोटिफिकेशन जारी किया जायेगा.
पीके सरकार, महानिदेशक (डीजीएमएस)