एक तरफ राज्य सरकार और विभागीय मंत्री सूबे की सबसे बड़ी समस्या कुपोषण को जड़ से समाप्त करने की बात कह रहे हैं. कुपोषण को खत्म करने के लिए सरकार की विभिन्न इकाइयां लगातार प्रयासरत हैं और बड़े-बड़े दावे कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ रिम्स के मरीजों को अस्पताल में ठीक से दो वक्त की क्वालिटी की रोटी भी नहीं मिल रही है.
कभी दाल में पानी ज्यादा हो तो कभी चावल ठीक से नहीं पकता
राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से रिम्स अस्पताल में आने वाले मरीजों को बेहतर गुणवत्ता वाला नाश्ता और भोजन मुहैया कराने को लेकर रिम्स अस्पताल प्रबंधन ने अस्पताल के किचन का जिम्मा दिल्ली के प्राइम सर्विसेस नामक एजेंसी को सौंपा ताकि मरीजों को बेहतर खाना मिल सके लेकिन सच तो यह है कि इन दिनों यहां मरीजों को बेहतर गुणवत्ता वाला खाना नहीं मिल रहा. कभी दाल में पानी ज्यादा हो मिलती है तो कभी चावल ठीक से पकता भी नहीं. सब्जियों में भी मिर्ची की मात्रा ज्यादा होने की मरीजों ने शिकयत की है. मरीज न चाहते हुए ऐसा भोजन करने को मजबूर हैं क्योंकि उनके पास कोई दूरा ठिकाना नहीं है.
मरीजों ने कहा, मजबूरन हम खाते हैं खाना
सूत्रों की मानें तो मरीजों को जो खाना एजेंसी द्वारा मुहैया कराया जा रहा है इसके एवज में एजेंसी रिम्स प्रबंधन को करीब 50 लाख रुपये का बिल भी भेजती है. इस बाबत जब मरीजों से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि खाना जैसा होना चाहिए उस क्वालिटी का नहीं मिलता मजबूरन हमें खाना ही पड़ता है क्योंकि हमारे पास और कोई उपाय नहीं है.
प्रबंधन का था दावा बेहतर क्वालिटी का खाना उपलब्ध करायेगी ऐजेंसी
जब रिम्स अस्पताल के किचन का जिम्मा दिल्ली के एजेंसी प्राइम सर्विसेस को दिया जा रहा था तो उस समय प्रबंधन ने तर्क दिये थे कि यह एजेंसी मरीजों को बेहतर क्वॉलिटी का नाश्ता और खाना मुहैया कराएगी. लेकिन यहां मिल रहे खाने की क्वालिटी को देखने के बाद सारे दावे और तर्क झूठे साबित होते दिख रहे हैं. वहीं रिम्स प्रबंधन अब इस मामले पर अपनी ओर से सफाई देने की कोशिश में लगा है.
कुपोषण सिर्फ बयानों और भाषणों में खत्म होती दिखेगी या हकीकत में भी होगा ऐसा
बहरहाल जब अस्पताल के मरीजों को ही बेहतर गुणवत्ता वाला नाश्ता और खाना नहीं मिल रहा, तो राज्य के अन्य गरीबों का तो कुपोषण की जद में आना स्वभाविक सा दिख पढ़ता है. देखना यह है कि सरकार इस समस्या को खत्म करने पर गंभीर होती है या फिर राज्य में कुपोषण सिर्फ बयानों और भाषणों में खत्म होती दिखेगी.
देखें आंकड़ा
– प्राइम सर्विसेस द्वारा रिम्स प्रबंधन को भेजे गए बिल के अनुसार अगस्त में मरीजों ने करीब 50 लाख रुपये का सुबह का नाश्ता किया है.
– करीब 15 लाख 36 हजार 675 रुपये का सुबह का नाश्ता कराया गया है.
– दोपहर के भोजन में करीब 13 लाख 35 हजार खर्च किए गए.
– जबकि रात के भोजन पर करीब 12 लाख 45 हजार का खर्च आया है.
– वही 3 लाख 26 हजार रुपये का लिक्विड मरीजों को दिया गया है.
– रिम्स अस्पताल के विभिन्न वोर्डों में करीब 1300 मरीज हर वक्त भर्ती रहते हैं.
– एक मरीज के भोजन में करीब 96 रुपये खर्च होते हैं,जबकि पहले एक मरीज पर मात्र 80 रुपये ही खर्च होते थे.