धनबाद के अंबिकापुरम और सोनपुर के रेस्ट हाउस की तलाशी
आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआइ पटना एसीबी की कार्रवाई
पटना.सीबीआइ पटना एसीबी की टीम ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में सोनपुर रेल मंडल के कंट्रोल रूम में तैनात आरपीएफ इंस्पेक्टर दिलीप कुमार सिंह (डीके सिंह) के धनबाद, सोनपुर समेत आधा दर्जन ठिकानों पर शनिवार को छापामारी की. छापामारी में धनबाद में इंस्पेक्टर के घर से निवेश व आय संबंधी कागजात कई जब्त किये गये हैं.
पटना सीबीआइ एसीबी की टीम सोनपुर मंडल मुख्यालय स्थित कंट्रोल रूम व स्टेशन गेट स्थित रेलवे सुरक्षा बल के बैरक में पहुंची. बैरक में ही निरीक्षकों का रेस्ट हाउस है. सीबीआइ ने डीके सिंह से पूछताछ की व दोनों जगहों पर दो घंटे से ज्यादा समय तक तलाशी ली. डीके सिंह लंबे समय तक धनबाद में रहे हैं और विभाग में उनकी तूती बोलती थी.
धनबाद में आरपीएफ इंस्पेक्टर के अंबिकापुरम (सर्किट हाउस के निकट) स्थित फ्लैट में छापामारी की गयी. फ्लैट में इंस्पेक्टर की पत्नी रश्मि रानी व पुत्री रहती है. इंस्पेक्टर का पुत्र बाहर पढ़ता है. छापामारी में सीबीआइ ने बैंक खाते व कागजात हासिल किये हैं. फ्लैट पर इंस्पेक्टर डीके सिंह व पत्नी रश्मि रानी (एडवोकेट) का नेम प्लेट लगा हुआ है. सीबीआइ एसीबी पटना में इंस्पेक्टर डीके के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया है. सीबीआइ का आरोप है कि इस दौरान इंस्पेक्टर ने लाखों की चल-अचल संपत्ति अर्जित की है. इंस्पेक्टर का झाड़ूडीह में भी आवास है.
जमीन व रियल स्टेट में निवेश
सीबीआइ सूत्रों का कहना है कि आरपीएफ इंस्पेक्टर ने धनबाद में पदस्थापना के दौरान ही अकूत संपत्ति अर्जित की है. धनबाद, पटना व रांची में पार्टनरशिप में अप्रत्यक्ष रूप से रियल स्टेट कारोबार चल रहा है. धनबाद के जय प्रकाश नगर में अपार्टमेंट एक संबंधी के नाम पर बन रहा है. भूली रोड में भी कहीं अपार्टमेंट बन रहा है.
छह साल में 66 लाख 55 हजार 681 रुपये की संपत्ति बनायी
आरपीएफ इंस्पेक्टर डीके सिंह के खिलाफ सीबीआइ में दर्ज आय से अधिक संपत्ति के मामले में आरोप है कि जनवरी 2009 से दिसंबर 2014 तक अारपीएफ इंस्पेक्टर ने 66 लाख 55 हजार 681 रुपये की संपत्ति अर्जित की है. इस दौरान वह धनबाद और सोनपुर में बतौर इंस्पेक्टर पदस्थापित रहे हैं. आयकर विवरणी में इंस्पेक्टर ने पत्नी रश्मि रानी को हाउस वाइफ बताया है. आय में अधिकांश मासिक वेतन ही दर्शाया गया है. इंस्पेक्टर को छह साल में 30 लाख 32 हजार रुपये वेतन मिले हैं. आरोप है कि धनबाद व भभुआ में उनके व परिजनों के नाम से तीन फ्लैट, दो प्लाट है. इसकी कीमत 57 लाख 40 हजार 681 रुपये है. इंस्पेक्टर ने छह साल में एक चारपहिया व दोहपिया वाहन खरीदे हैं जिसकी कीमत नौ लाख 10 हजार है. बच्चों की शिक्षा व फ्लैट के रख-रखाव पर आठ लाख 53 हजार छह सौ रुपये खर्च किये हैं. आयकर विवरणी के इस हिसाब से इंस्पेक्टर के पास कुल 21 लाख 78 हजार रुपये की संपत्ति बचती है.
44 लाख 72 हजार 281 रुपये की संपत्ति का स्रोत नहीं
इंस्पेक्टर के पास 44 लाख 72 हजार 281 रुपये की संपत्ति का कोई स्रोत नहीं है. यह संपत्ति आय से अधिक है. सीबीआइ की जांच में पाया गया है कि आय से अधिक इस संपत्ति का स्रोत बताने में इंस्पेक्टर विफल रहे हैं. आय से अधिक यह संपत्ति अनुमानत: है. यह राशि बढ़ भी सकती है. पटना सीबीआइ एसीबी में केस नंबर आरसी-0232017ए0016 दिनांक 13.10.17 पीसी एक्ट 1998 धारा 13 (2), आर-डब्ल्यू 13 (1)(ई) के तहत केस दर्ज है.
धनबाद आरपीएफ में 12 साल तक रहे हैं डीके
कई लोगों ने की शिकायत, लेकिन नहीं हुई कोई कार्रवाई
आय से अधिक संपत्ति में सीबीअाइ की गिरफ्त में आये डीके सिंह धनबाद आरपीएफ में विभिन्न पदों पर लगभग 12 साल तक पदस्थापित रहे हैं. इस दौरान तीन माह के लिए उनका तबदला हाजीपुर हुआ. लेकिन फिर लौट आये. धनबाद में आरपीएफ अधिकारियों से लेकर हाजीपुर व दिल्ली तक डीके सिंह की पहुंच थी. उनके खिलाफ विभाग ही नहीं, आम लोगों की ओर से भी गंभीर शिकायत हाजीपुर व दिल्ली आरपीएफ तक पहुंचती रही है. डीके पर अवैध तरीके से पैसे कमाने, रेल अपराध से जुड़े लोगों से संबंध रखने व रेलवे की संपत्ति की क्षति पहुंचाने वालों से संबंध रखने के आरोप में पूर्व में शिकायत होती रही है. यह बात भी सही है कि डीके सिंह अपने कार्यकाल में अवैध कारोबार करने वाले रेल अपराधियों को सलाखों के पीछे भी पहुंचाते रहे हैं.
दिलीप कुमार सिंह उर्फ डीके सिंह धनबाद आरपीएफ पोस्ट में बतौर इंस्पेक्टर प्रभारी 15-11-11 से 15-11-14 तक रहे हैं. इससे डेढ़ साल पहले वह आरपीएफ सीआइबी में रहे हैं. धनबाद पोस्ट में पांच साल तक बतौर सब इंस्पेक्टर भी रहे. दो साल तक बतौर सब इंस्पेक्टर सीआइबी में रहे. दो साल तक कैश एंड ट्रेन स्कोर्ट में रह चुके हैं. इस दौरान तीन माह के लिए हाजीपुर तबादला हुआ लेकिन फिर धनबाद लौट आये. प्रभारी इंस्पेक्टर होते हैं, लेकिन आरपीएफ पोस्ट में बतौर सब इंस्पेक्टर डीके की ही चलती थी. सीनियर अफसर किसी काम के लिए डीके को ही खोजते थे.
तूती बोलती थी विभाग में
आरोप लगते रहे हैं कि रेलवे वैगनों से पुराना बाजार की ओर से तेल चोरी, रेलवे के लोहे की चोरी, टिकट दलाल के साथ जेबकतरों तक सीधे डीके को जानते थे. डीके जेल भेजकर खौफ पैदा कर अवैध कारोबारियों से रकम वसूली करते थे. सीनियर अफसर का वरदहस्त होने के कारण पोस्ट प्रभारी इंस्पेक्टर व कनीय अफसर डीके के खिलाफ नहीं बोल पाते थे. हाजीपुर अपने तबादला के बाद धनबाद आये इंस्पेक्टरों के खिलाफ डीके झूठी शिकायत हाजीपुर, दिल्ली समेत अन्य जगहों पर कर परेशान करते थे. जीआरपी के अफसर भी डीके से खौफ खाते थे.
संपत्ति को लेकर होती रही हैं शिकायतें
धनबाद में अपने पदस्थापना काल में डीके विवादास्पद रहे हैं. कई गंभीर आरोपों के साथ उनके खिलाफ शिकायत की जाती रही है. जय प्रकाश नगर में बन रहे अपार्टमेंट को लेकर पार्टनरशिप में डीके सिंह के साथ विवाद है. डीके सिंह की ओर से मामले में धनबाद थाना में केस दर्ज है. डीके सिंह के खिलाफ फ्लैट के लेन-देन में पैसे रख लेने, वापस नहीं करने व जान मारने की धमकी देने के मामले में पुलिस में शिकायत आयी थी. आरोप था कि लगातार फोन पर जान मारने की धमकी दी जा रही है. पुलिस स्तर से मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई.डीके सिंह के खिलाफ उच्चाधिकारियों को शिकायत की गयी थी कि धनबाद में गणपति टावर में एक फ्लैट, इसी परिसर के बेसमेंट में ऑफिस के लिए स्पेस, विशुनपुर मौजा में जमीन के दो प्लॉट व सर्किट हाउस के निकट अंबिकापुरम स्थित आशीष किरण अपार्टमेंट में एक फ्लैट परिजनों के नाम से खरीदे हैं.