मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन और मोहर्रम के जुलूस के मुद्दे पर विरोधियों के निशाने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पलटवार किया है. अदालत के फटकार से बेअसर ममता ने कोलकाता के पॉम एवेन्यू में एक पूजा पंडाल में अपने भाषण में कहा कि जब मैं दुर्गा पूजा या गणेश उत्सव का शुभारंभ करती हूं तो तुष्टिकरण का आरोप नहीं लगता, लेकिन ईद की नमाज अदा कर लूं तो विरोधी ऐसा आरोप लगाने लगते हैं. उन्होंने कहा कि अगर ये तुष्टिकरण है तो मैं जब तक जीवित हूं, ऐसा करती रहूंगी. अगर कोई मेरे माथे पर गन भी रख दे तब भी मैं यही करूंगी. मैं किसी से भेदभाव नहीं करती. ये बंगाल की संस्कृति है, ये मेरी संस्कृति है.
30 सितंबर की रात 10 बजे तक मूर्ति विसर्जन करने का था फरमान
गौरतलब है कि यह विवाद दो सप्ताह पहले शुरू हुआ था, जब ममता सरकार ने दुर्गा प्रतिमा विसर्जन को 30 सितंबर की रात 10 बजे तक करने का फरमान जारी किया. अगले दिन मुहर्रम होने की वजह से प्रतिमा विसर्जन पर प्रतिबंध लगा गया. कई लोगों की तरफ से इसे धर्म का पालन करने के मूल अधिकार का उल्लंघन बताया गया और फिर हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई. जिसके बाद अदालत ने ममता सरकार के फैसले को पलट दिया. अदालत ने कहा है कि सभी दिनों पर रात 12 बजे तक विसर्जन की इजाजत होगी, यहां तक कि मुहर्रम के दिन भी. उच्च न्यायालय ने पुलिस से विसर्जन और ताजियों के लिए अलग-अलग रूट निर्धारित करने को कहा है.